दिल्ली के 2 सरकारी स्कूलों की 59 छात्राओं ने नीट पास कर रचा इतिहास

दिल्ली के 2 सरकारी स्कूलों की 59 छात्राओं ने नीट पास कर रचा इतिहास

नई दिल्ली।दक्षिण दिल्ली के बदरपुर के मोलड़बंद इलाके का एक सरकारी स्कूल विद्यार्थियों के प्रदर्शन के चलते सुर्खियों में है। मोलड़बंद के सर्वोदय कन्या विद्यालय की 36 छात्राओं ने नीट परीक्षा में शानदार प्रदर्शन करते हुए अपना स्थान सुनिश्चित किया। एक ऐसी परीक्षा जिसके लिए अभिभावकों को कोचिंग की मोटी फीस भरनी पड़ती है। ऐसे में सरकारी स्कूल के कम आय वर्ग के छात्राओं का प्रदर्शन सभी को हैरत में डालने वाला है। वहीं, ओखला के नूर नगर स्थित सर्वोदय कन्या विद्यालय की भी 23 छात्राओं ने नीट परीक्षा में अपना स्थान पक्का किया है।

मोलड़बंद विद्यालय की प्रधानाचार्या सुजाता टम्टा और नूर नगर विद्यालय के उप प्रधानाचार्य मुदस्सिर ने छात्राओं को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी हैं। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष व बदरपुर से विधायक रामवीर सिंह बिधूड़ी ने भी छात्राओं को उज्जवल भविष्य की बधाई देते हुए कहा कि ये छात्राएं अपने जैसी बहुत से छात्राओं के लिए मिसाल बनेंगी।

यहां पर बता दें कि नीट परीक्षा में इस बार दिल्ली के 569 सरकारी स्कूल के बच्चों ने परीक्षा पास की है। इनमें से 379 छात्राएं शामिल हैं जो कि एक बड़ी सफलता है।

दिल्ली के टॉप 10 टॉपर्स में शामिल बबिता शर्मा ने बताया कि उनके शिक्षकों और परिवार वालों की मेहनत का फल नीट परीक्षा परिणाम के रूप में सामने आया है।

मोलड़बंद स्कूल की प्रधानाध्यापिका सुजाता टम्टा ने बताया कि उनके स्कूल की आकांक्षा गुप्ता, रीतिका, तनु, कोमल तिवारी, प्राची, नेहा कुमारी, फरेहा बानो, शार्ली समेत सभी छात्राओं और शिक्षकों की मेहनत परीक्षा परिणाम के रूप में सार्थक हुई है। उन्होंने कहा, डिपार्टमेंट ने भी हमारी बहुत मदद की है।

लॉकडाउन से भी नहीं रुकी पढ़ाई, लगातार अध्ययन से मिली सफलता

सुजाता टम्टा ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान भी बच्चों की पढ़ाई न रुके, इसके लिए पूरे प्रयास किए गए। ऑनलाइन क्लासेज दी गई और जिन बच्चों के पास ऑनलाइन पढ़ाई के लिए गैजेट नहीं थे, उनके अभिभावकों को प्रति सप्ताह बुलाकर एसाइनमेंट दिए जाते थे और सप्ताह में नियत दिन एसाइनमेंट पूरा कर जमा किए जाते थे। पढ़ाई की निरंतरता बनी रहने से ही छात्राओं ने परीक्षा उत्तीर्ण की है। छात्राओं के अच्छे प्रदर्शन से आने वाले बच्चों में भी कुछ कर गुजरने का जज्बा दिखाई देने लगा है।

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