21 शक्ति पीठ में एक
हिंगलाज मंदिर को नानी मंदिर के तौर पर भी जानते हैं। बलूचिस्तान में स्थित यह मंदिर 21 शक्ति पीठों में से एक है। भारत में जो महत्ता वैष्णो देवी धाम की है, वही स्थान बलूचिस्तान में इस मंदिर का है। हिंगलाज मंदिर भी पहाड़ पर स्थित है और हिंगोल नदी के किनारे पर स्थित है। इस मंदिर में हर वर्ष नवरात्रि के मौके पर काफी धूम-धाम देखी जा सकती है। हर वर्ष यहां पर श्रद्धालुओं की तरफ से नौ दिनों तक भंडारे और फलहार का आयोजन भी किया जाता है। हर वर्ष यहां हिंगलाज यात्रा का आयोजन होता है। हिंगलाज यात्रा के दौरान प्रतिवर्ष 250,000 हिंदु श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं।
कहते हैं कि भगवान श्रीराम के पावन कदम हिंगलाज माता के मंदिर में भी पड़े थे। अध्यात्म के विषयों के जानकारों की मानें तो जब भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया तो उसके बाद वह इस मंदिर में दर्शन के लिए आए थे। नवरात्रि के दौरान यहां पर हिंदू सिंधी श्रद्धालुओं की भीड़ तो रहती ही है साथ में मुसलमान धर्म के लोग भी मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं। स्थानीय मुसलमान समुदाय के लोगों ने हिंदुओं के साथ मिलकर हिंगलाज माता श्राइन को तीर्थस्थान बनाने में योगदान दिया है। कई लोग इसे तीर्थस्थल को 'नानी की हज' भी कहते हैं।
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