आर्मीनिया-अज़रबैजान संघर्ष: जाने तुर्की कैसे बन गया 'ड्रोन सुपर पावर'?


नागोर्नो-काराबाख़ में आर्मीनिया और अज़रबैजान के बीच चल रहे भीषण युद्ध ने तुर्की में बने लड़ाकू ड्रोन विमानों को भी दुनिया की नज़र में ला दिया है. कहा जा रहा है कि तुर्की से ख़रीदे गए ड्रोन की वजह से अज़रबैजान को युद्ध में बढ़त हासिल हुई है.
नागोर्नो-काराबाख़ युद्ध शुरू होने से पहले ही तुर्की के ड्रोन विमानों की वजह से कई सैन्य विश्लेषक उसे ग्लोबल डिफेंस इंडस्ट्री क्षेत्र के शीर्ष देशों में शामिल करने लगे थे.
उन्नत लड़ाकू ड्रोन बना रहा तुर्की अपने आप को इसराइल या अमरीका के साथ जोड़कर नहीं देखना चाहता है. वो उन्नत तकनीक के नए विमान ख़ुद बना रहा है.
मानवरहित विमानों के अमरीकी सैन्य विशेषज्ञ डेनियल गेटिंगर ने बीबीसी तुर्की सेवा से कहा कि तुर्की कई तरह के ड्रोन विमान बना रहा है.
हेबरतुर्क के पत्रकार और एविएशन के विशेषज्ञ गुंते सिमसेक का मानना है कि तुर्की कई बरसों से से उड्डयन क्षेत्र में हुए अपने नुकसान की भरपाई कर रहा है.'
वो बताते हैं कि विमान निर्माता तुर्की साल 1940 में ही सिविल एविएशन ऑर्गेनाइज़ेशन का सदस्य बन गया था. हालाँकि, अगले कुछ वर्षों में तुर्की की स्थिति कमज़ोर होती गई. लेकिन अब मानवरहित विमान बनाकर उसने अपनी स्थिति मज़बूत कर ली है.

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