फर्ज़ी आरोपो से लगातार बरी होते जा रहे वरिष्ठ पत्रकार उपेन्द्र राय

फर्ज़ी आरोपो से लगातार बरी होते जा रहे वरिष्ठ पत्रकार उपेन्द्र राय
नई दिल्‍ली। सांच को आंच कहा, यह बात अब धीरे-धीरे साबित होती जा रही है वरिष्‍ठ पत्रकार उपेन्‍द्र राय के मामलों में। सत्ता सिस्टम में बैठे लोग अगर चाह लें तो आपको कई फर्जी केसों में फंसाकर जीवन बर्बाद कर सकते हैं। वो तो सहारा के सीईओ वरिष्‍ठ पत्रकार उपेंद्र राय जैसा जीवट व्यक्ति था कि साजिशों के सातों द्वारों को तहस नहस कर खुद को बेदाग साबित कर पाने में सफल साबित हुए। सारे फर्जी केसों की हवा निकलती जा रही है। आश्चर्य होता है कि सीबीआई, ईडी के कुछ अधिकारी बिना आधार बस खुन्नस में झूठे केस दर्ज कर लेते हैं और बाद में अपनी साख पर सवालिया निशान खड़ा कर लेते हैं। सीबीआई बनाम सीबीआई की लड़ाई में साजिशन फंसाए गए वरिष्‍ठ पत्रकार उपेन्द्र राय के मामले में एक दिलचस्प मोड़ सामने आया है। शिकायतकर्ता कंपनी व्हाइट लायन रियल एस्टेट डेवेलपर्स प्राइवेट लिमिटेड ने अपनी शिकायत वापस लेने के लिए सीबीआई को अर्जी दी है। कंपनी ने बोर्ड मीटिंग में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास करके सीबीआई को सूचित किया है कि वरिष्‍ठ पत्रकार उपेन्द्र राय और कंपनी के बीच 3 अक्टूबर 2017 को जो कंसल्टेंसी एग्रीमेंट हुआ था, वो कंपनी और उपेन्द्र राय की आपसी सहमति और पूर्ण संतुष्टि के बाद ही दोनों पार्टियों की ओर से लागू किया गया था। इसके साथ ही बोर्ड द्वारा सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर श्री उपेन्द्र राय के खिलाफ शिकायत वापस लेते हुए 16 नवंबर 2019 को ही सीबीआई से यह निवेदन किया गया था कि कंपनी इनके खिलाफ अपनी शिकायत वापस लेती है और सीबीआई से निवेदन करती है कि इनके खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाय। 27 जुलाई 2020 को सीबीआई ने अपने दूसरे एफआईआर के संबन्ध में स्पेशल सीबीआई कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी थी, जिसका संज्ञान स्पेशल जज सीबीआई ने पहले ही ले लिया है। सीबीआई ने अपने क्लोजर रिपोर्ट में विशेष तौर पर यह लिखा है कि इस पूरे मामले में जांच के दौरान किसी भी गवर्नमेंट सर्वेंट की किसी भी तरह की कोई संलिप्तता नहीं पाई गई। जानकारी के मुताबिक वरिष्ठ पत्रकार उपेन्द्र राय के खिलाफ यह शिकायत कपिल वधावन और धीरज वधावन ने तत्कालीन सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा के दबाव में अपने समूह की एक कंपनी व्हाइट लायन रियल एस्टेट डेवेलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों से करवाई थी। नियमत: यह कंप्लेंट सीबीआई को दर्ज ही नहीं करनी चाहिए थी, ऐसा जानकारों का मानना है। लेकिन तत्कालीन डायरेक्टर सीबीआई के दबाव में शिकायतकर्ताओं का बयान लेकर शिकायत दर्ज कर ली गई। बता देें कि वरिष्‍ठ पत्रकार उपेन्द्र राय के सीबाआई में दिए गए बयान को देखकर साफ पता चलता है कि उपेन्द्र राय और शिकायतकर्ता बलविंदर मल्होत्रा और मेहुल बाविशी के बीच कभी कोई मुलाकात और बातचीत नहीं हुई थी। वरिष्‍ठ पत्रकार उपेन्द्र राय और कंपनी के बीच कंसल्टेन्सी एग्रीमेंट 3 अक्टूबर 2017 को आपसी सहमति से लागू किया गया और 8 महीने तक शिकायतकर्ताओं ने कोई शिकायत नहीं दर्ज करवाई और 8 महीने बाद अचानक मुंबई से दिल्ली आकर वरिष्‍ठ पत्रकार उपेन्द्र राय के खिलाफ धमकी देने और पैसे लेने का आरोप लगा दिए। सीबीआई ने इस मामले में फौरन एफआईआर भी दर्ज कर लिया, जो सीबीआई मैन्युअल और सीवीसी गाइडसलाइन्स का सरासर उल्लंघन है। लेकिन व्हाइट लायन रियल एस्टेट डेवेलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के बोर्ड द्वारा पारित प्रस्ताव और सीबीआई को लिखे गए पत्र के चलते अब यह तय हो गया है कि वरिष्‍ठ पत्रकार उपेन्द्र राय इस पूरे प्रकरण से पूर्णतया साफ-सुथरे होकर अब निकल जाएंगे। 1 मई 2018 को सीबीआई द्वारा दर्ज किए गए पहले एफआईआर में वरिष्‍ठ पत्रकार उपेन्द्र राय के खिलाफ केस चलाने के लिए सीबीआई को कोई ठोस आधार नहीं मिल पाया। एयरपोर्ट एन्ट्री पास को लेकर जो एफआईआर दर्ज की गई थी, उसमें भारत सरकार ने वरिष्‍ठ पत्रकार उपेन्द्र राय के खिलाफ मुकदमा चलाने से 6 दिसंबर 2018 को ही मना कर दिया था। पूरे मामले में किसी सरकारी अधिकारी की संलिप्तता न पाए जाने पर स्पेशल सीबीआई जज संतोष स्नेही मान ने पीसी एक्ट का चार्ज 17 दिसंबर 2018 को समाप्त कर दिया था। उसके बाद एक आरटीआई के जवाब में ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी ने वरिष्‍ठ पत्रकार उपेन्द्र राय को जारी किए गए एयरपोर्ट एन्ट्री पास को पूरी तरह से सही बताया था, वहीं दूसरे आरटीआई के जवाब में दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच ने उपेन्द्र राय के सभी क्रियाकलापों को पूर्णतया पाक-साफ बताया था, जिसके बाद उनको एयरपोर्ट एन्ट्री पास जारी हुआ था। इसके लिए जरूरी ट्रेनिंग भी वरिष्‍ठ पत्रकार उपेन्द्र राय ने प्राप्त की थी। अब यह पूरी तरह साफ हो चुका है कि वरिष्‍ठ पत्रकार उपेन्द्र राय के खिलाफ सीबीआई कोई भी केस बनाने में सफल न होने पाई है।

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