मज़दूरो के साथ नाटक कर रही सरकार,संघर्ष करेगा संगठन

प्रतापगढ़ । ज़िला ट्रेड काउंसिल प्रतापगढ के अध्यक्ष हेमंत नंदन ओझा ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कोरोना के बहाने और श्रम सुधार के नाम पर मजदूरों एवं उनके हितों की रक्षा के लिए बने हुए श्रमिक संगठनों के अस्तित्व को खत्म कर मजदूरों के हितैषी बनने का नाटक कर रही है सरकार जहां एक तरफ पूरे देश के मजदूर इस वैश्विक महामारी से परेशान हैं और अपने घर पहुंचने के लिए सैकड़ों किलोमीटर दूर पैदल साइकिल रिक्शा ऑटो रिक्शा ट्रक टेंपो आदि साधनों से अन्य प्रदेशों से अपने प्रदेश अपने घर आने के लिए हर और कदम उठाने के लिए मजबूर हैं जिनसे वह अपनों के बीच अपने घर पहुंच सकें ऐसे बहुत से मजदूर जो अपने घर पहुंचने के सपना लेकर दूसरे प्रदेशों से चले कई तो रास्ते में सड़क हादसे व रेल हादसे के शिकार हो गए जीते जी अपने घर तो नहीं पहुंच सके अगर घर पहुंची तो उनकी भूली बिसरी यादों के साथ उनके क्षत-विक्षत सव जिन्हें देखकर उनके परिजन कुछ समझ ही नहीं पा रहे हैं ऐसे समय में केंद्र सरकार व राज्य सरकारों के द्वारा श्रम सुधार के नाम पर मजदूरों का शोषण करने के लिए इन कंपनियों को खुली छूट देकर सरकार का असली चेहरा सामने आ रहा है एक तरफ जहां किसी भी उद्योग को लगाने के लिए सरकारें उद्यमी को लोन उपलब्ध कराती है इसके साथ ही साथ अलग अलग योजना के अंतर्गत उन्हें छूट भी देती है साथ ही कभी-कभी ब्याज ओं में भी छूट दे रखी है किंतु वहीं दूसरी तरफ मजदूर एक ऐसी प्रजाति है जिसकी बदौलत पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था टिकी हुई है किंतु जब मजदूरों के हितों की बात आती है तो हर बार मजदूरों को सिर्फ छलावा ही मिलता है वहीं केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार के द्वारा पहले से लागू श्रम कानूनों के सुधार के नाम पर किए गए बदलाव की सभी कर्मचारी संगठनों ने निंदा की और कहा कि एक तरफ सरकार मजदूरों के हितैषी बनने का नाटक करती है दूसरी तरफ श्रम कानूनों में बदलाव लाकर औद्योगिक कंपनियों को श्रमिकों पर जुल्म ढहाने का रास्ता भी साफ कर रखा है एटक के सदस्य हेमंत नंदन ओझा ने बताया कि योगी सरकार द्वारा पंजीकृत श्रमिकों के खाते में भेजी जाने वाली ₹1000 की धनराशि अभी तक ज्यादातर मजदूरों के खाते में नहीं पहुंच रही है इसी प्रकार नगर पालिका क्षेत्र में और जनपद के सभी नगर पंचायत क्षेत्रों में दिहाड़ी मजदूरों जो पल्लेदारी करते हैं बालू सीमेंट सरिया या फिर सब्जी मंडी में माल उतारते और चढ़ाते हैं उनके चिन्हीकरण का कार्य मौखिक रूप से रोक दिया गया है इस चिन्हीकरण के लिए मजदूर नेताओं ने जब नगर पालिका और संबंधित अधिकारियों से बात की तो उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला और अब इस तरीके से सरकार द्वारा की जा रही घोषणाओं से मजदूरों का विश्वास सरकार से उठ गया है और मजदूर अपनी बेबसी लाचारी की बदौलत स्वयं आत्मनिर्भर बनने के लिए मजबूर है मजदूरों को लाभ पहुंचाने वाली सभी योजनाओं का जनपद में जमीनी हकीकत सिर्फ हवा हवाई ही रह गई है वही श्रमिक संगठनों से जुड़े लोगों ने बताया कि लाक डाउन खत्म होने के बाद यदि सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो मजबूरन उन्हें सरकार के साथ संघर्ष करना होगा ।

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