विस्तार के अपार्टमेंट की गुणवत्ता में करोड़ों का घोटाला,जानिए पूरा मामला।

विस्तार के अपार्टमेंट की गुणवत्ता में करोड़ों का घोटाला,जानिए पूरा मामला।

लखनऊ। बुकलेट में दर्ज सुविधाएं नहीं दीं और जो दी वह भी अधोमानक थीं। रेन वाटर हार्वेस्टिंग, फायर सेफ्टी, जलनिकासी, पार्क, सड़क, फ्रेमिंग, अच्छी खिड़की, स्वीमिंग पूल और क्लब हाउस ऐसे न जाने कितने वादे तोड़े और कमीशनबाजी की वजह से फाइल भी दनादन पास हुईं। अपार्टमेंट में सीलन है। बेसमेंट में पानी भर रहा है। सुलभ अपार्टमेंट जहां कम आय वर्ग के लोगों ने अपने सपने का आशियाना खरीदा था, उनको सबसे बड़ा धोखा मिला है। कंपनी ने इतनी कमियां छोड़ी कि ब्लैक लिस्ट करने की तैयारी चल रही है। गोमती नगर विस्तार महासमिति के सचिव उमाशंकर दुबे इस मामले में रेरा से लेकर अदालत तक लड़ाई लड़ रहे हैं। आरोप है कि करीब 1200 करोड़ रुपये में बनाए गए अपार्टमेंट में करीब 100 करोड़ की कमीशनखोरी की गई है। मगर, कभी कोई जांच नहीं की गई। 

2012 मेंअधिकारी हुए थे निलंबित, वे भी हुए बहाल 

कभी किसी एलडीए अभियंता या अधिकारी पर कोई गाज नहीं गिरी है। साल 2012 में अखिलेश यादव के सीएम रहते हुए सरस्वती अपार्टमेंट का निरीक्षण किया गया था। इसमें प्राधिकरण के सात अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था। मगर वे भी सब एक एक कर बहाल हो गए थे। इसके बाद से करीब आठ साल में एक भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।

सुलभ आवास में कंपनी पर नहीं गिरी गाज 

सिंटेक्स कंपनी की ओर से घटिया फ्लैट बनाने के मामले में एलडीए के कई इंजीनियरों पर कार्रवाई के निर्देश तो हुए, मगर कार्रवाई नहीं। कमिश्नर मुकेश कुमार मेश्राम के निर्देश पर शुरू हुई जांच में प्राधिकरण के अनेक इंजीनियर घेरे में आ रहे हैं। निर्माण कराने वाली कंपनी सिंटेक्स की जमानत राशि जब्त कर उसे पहले ही डिबार कर दिया गया है। मगर ब्लैक लिस्ट करने की कार्रवाई अब तक नहीं की गई है। एलडीए ने वर्ष 2010-2016 के बीच में ङ्क्षसटेक्स कंपनी को आठ हजार से ज्यादा फ्लैटों के निर्माण की जिम्मेदारी दी थी। कंपनी निम्न गुणवत्ता के फ्लैट बनाती रही और एलडीए के तत्कालीन इंजीनियर चुप्पी साधे रहे।

क्या कहते हैं लविप्रा उपाध्यक्ष ? 

लविप्रा उपाध्यक्ष शिवाकांत द्विवेदी के मुताबिक, सुलभ अपार्टमेंट में कंपनी पर बड़ी कार्रवाई की जाएगी। बाकी अपार्टमेंट की समस्याएं भी हल होंगी। कई जगह तो हैंडओवर होने के बाद परेशानियां गिनाई जा रही हैं। समाधान कर रहे हैं। गड़बडिय़ां पुरानी हैं।

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