जानिए क्यों आदिवासी कल्याण योजनाओं के लिए केंद्रीय सहायता लेने से ममता बनर्जी कर रही इनकार?

जानिए क्यों आदिवासी कल्याण योजनाओं के लिए केंद्रीय सहायता लेने से ममता बनर्जी कर रही इनकार?







कोलकाता : बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अब केंद्र सरकार पर आदिवासी कल्याण योजनाओं के बहाने राज्य के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण का आरोप लगाया है। उन्होंने केंद्र पर निशाना साधते हुए आदिवासी कल्याण योजनाओं के लिए अब किसी भी केंद्रीय सहायता को स्वीकार करने से भी इनकार कर दिया है। ममता ने कहा कि केंद्र सरकार अब आदिवासियों के विकास के बहाने राज्यों पर बैक डोर से समानांतर नियंत्रण की कोशिश कर रहा है। हमें केंद्र की मदद नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर मैं अल्पसंख्यकों की देखभाल कर सकती हूं, तो हम अपने आदिवासी भाइयों और बहनों का भी ध्यान रखेंगे।

उन्हें केंद्र के सामने झुकना नहीं होगा। दरअसल, केंद्र के साथ इस टकराव के केंद्र में राज्य में आदिवासी बच्चों के लिए 'एकलव्य' स्कूल हैं। ममता ने केंद्र पर आदिवासी स्कूलों के लिए सशर्त अनुदान और वित्त पोषण कर आदिवासी बच्चों के भविष्य में बाधा डालने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। ममता ने कहा, हम आदिवासी छात्रों के लिए एकलव्य स्कूलों की स्थापना कर रहे हैं और हम उन्हें छात्रवृत्ति दे रहे हैं। लेकिन कल्पना करें कि हमारी मदद करने के बजाय केंद्र हमें स्कॉलरशिप पाने वाले छात्रों की सूची प्रस्तुत करने के लिए कह रहा है अन्यथा वे हमें धन नहीं देंगे। वे कह रहे हैं कि एकलव्य स्कूल केंद्रीय बोर्ड के अधीन होना चाहिए।

ममता ने कहा कि राज्य विषयों के रूप में कुछ चीजें हैं। केंद्र राज्य सरकार के अधिकार में जबरन हस्तक्षेप की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमने कह दिया है कि हमें केंद्र की मदद नहीं चाहिए। हम उनके दबाव में नहीं झुकेंगे।  मैं आदिवासी छात्रों की देखभाल करूंगी। ममता ने शुक्रवार को राज्य सचिवालय नवान्न से अल्पसंख्यक मामलों और मदरसा विभाग की 608 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इसी दौरान उन्होंने इसको लेकर केंद्र पर आरोप लगाया। दरअसल, वर्तमान में राज्य में सात एकलव्य स्कूल हैं, जिनमें से प्रत्येक में 2,500 से अधिक आवासीय छात्र हैं। ये स्कूल 7 जिलों में स्थित है।

दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव में आदिवासियों ने बंगाल में भाजपा को भारी समर्थन दिया था, जो इससे पहले कभी नहीं देखा गया था। एसटी के लिए आरक्षित दो लोकसभा सीटें- एक उत्तर बंगाल में अलीपुरद्वार और दक्षिण बंगाल में झारग्राम में दोनों ही भाजपा ने जीती थीं। 2011 की जनगणना के अनुसार, बंगाल में 52 लाख आदिवासी हैं, जिनमें कुल मतदाताओं का 6 फीसद है।  जंगलमहल जो कभी लेफ्ट का गढ़ था, मुख्य रूप से एक आदिवासी बेल्ट है जिसमें बांकुरा, पुरुलिया, पश्चिम मिदनापुर जैसे जिले शामिल हैं। झाड़ग्राम और बीरभूम के कुछ हिस्से भी आदिवासी बहुल हैं। बंगाल में एसटी के लिए 16 विधानसभा सीटें हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान कम से कम 13 में भाजपा तृणमूल से आगे थी।  सूत्रों का कहना है कि तृणमूल उस 6 फीसद आदिवासी वोट शेयर के भरोसे को वापस पाने और फिर से हासिल करने की कोशिश में जुटी है।

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