जानिये किस रसायन के संपर्क में आने से खुद खत्म हो जाता है कोरोना वायरस?

जानिये किस रसायन के संपर्क में आने से खुद खत्म हो जाता है कोरोना वायरस?






मुंबई:आइआइटी मुंबई की प्रोफेसर डॉ. रिंटी बनर्जी ने एक ऐसा रसायन तैयार किया है, जिसके संपर्क में आते ही कोरोना वायरस खुद खत्म हो जाता है। इस रसायन की कोटिंग वाले कपड़ों से मास्क एवं अन्य वस्त्र तैयार किए जा सकते हैं। क्योंकि 20 बार से अधिक की धुलाई में भी इस कोटिंग का असर कम नहीं होता। गुजरात की एक कंपनी ने इस रसायन की कोटिंग वाले मास्क बनाने भी शुरू कर दिए हैं।

आइआइटी मुंबई के बायोसाइंसेज एंड बायोइंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर डॉ. रिंटी चटर्जी ने मूल रूप से मेडिकल की छात्रा रही हैं। एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बावजूद डॉक्टर बनने के बजाय शोध क्षेत्र में उनकी रुचि उन्हें आइआइटी में ले आई और यहां वह कई प्रकार के शोध में व्यस्त हैं। अपने शोधों पर वह अब तक कई पेटेंट भी हासिल कर चुकी हैं। ऐसे ही शोधों के क्रम में उन्होंने पिछले तीन माह में एक ऐसा रसायन तैयार किया है, जिसकी कोटिंग (लेप) किए हुए कपड़े पर आते ही कोरोना वायरस खुद खत्म हो जाता है। चूंकि यह 20 बार की धुलाई में भी कपड़े की सतह से अलग नहीं होता, इसलिए इसका उपयोग मास्क, पीपीई किट, स्पोर्ट्स ग्लब्ज या सामान्य रूप से पहनने के काम आनेवाले वस्त्रों पर भी किया जा सकता है। इसे ड्यूराप्रॉट कोटिंग के नाम से जाना जाता है। गुजरात की मास्क बनानेवाली एक कंपनी ने इसका उपयोग शुरू भी कर दिया है।

डॉ. रिंटी बताती हैं कि मोजे एवं अंतःवस्त्रों से आने वाली पसीने की दुर्गंध को दूर करने के लिए वह एक जीवाणुरोधी रसायन पर शोध कर रही थीं, उन्हीं दिनों देश में कोविड-19 का संकट शुरू हो गया। तब उन्होंने विषाणुरोधी रसायन की खोज पर शोध शुरू कर दिया है। चूंकि इस रसायन का इस्तेमाल कपड़ों पर कोटिंग के लिए किया जाना था, इसलिए थर्ड पार्टी वैलीडेशन साउथ इंडिया टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन (सिट्रा) से करवाना पड़ा। सिट्रा से मिली मान्यता यह सिद्ध करती है कि इस रसायन का शरीर पर कोई घातक असर नहीं होता है। इसके बाद यह भी सिद्ध होना जरूरी था कि इस रसायन के लेपवाले कपड़ों पर कोरोना वायरस खत्म होते हैं, या नहीं ? इसके लिए मुंबई में कोरोना इलाज के प्रमुख केंद्र कस्तूरबा अस्पताल से मदद मिली, और यह सिद्ध हो गया कि मुंह या नाक से निकले ड्रॉप लेट्स में मौजूद कोविड-19 के विषाणु इस रसायन के संपर्क में आने पर खत्म हो जाते हैं।

डॉ. रिंटी बनर्जी के अनुसार यह उनका यह शोध किसी व्यावसायिक अनुबंध का हिस्सा नहीं है। सिर्फ समाजहित को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इसे तैयार किया है। इस पर लागत भी अधिक नहीं आती। इसलिए मास्क, पीपीई किट या वस्त्र बनाने वाली कोई कंपनी उनसे संपर्क करती है, तो वह इसके उपयोग का लाइसेंस उसे दे सकती हैं। 

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