DM ने धार्मिक स्थलों को खोलने के लिए जारी की एडवाइज़री , इन बातों का रखना होगा ध्यान


DM ने धार्मिक स्थलों को  खोलने के लिए जारी की एडवाइज़री , इन बातों का रखना होगा ध्यान
जौनपुर । शासन के निर्देशानुसार कन्टेनमेंट जोन को छोड़कर शेष स्थानों/जोन में धार्मिक, पूजा स्थल 08 जून से खोले जा सकते हैं। शासन के दिशा निर्देशों के क्रम में जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह एवं पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार द्वारा मुख्य विकास अधिकारी अनुपम शुक्ला, मुख्य राजस्व अधिकारी डॉ. सुनील वर्मा , धर्मगुरु मौलाना सफ़दर हुसैन ज़ैदी की उपस्थिति में धर्म स्थलों को खोले जाने के संबंध में धर्म-स्थलों के प्रबंधन से जुड़े लोगों के साथ कलेक्ट्रेट कक्ष में बैठक की गई।
बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि धर्मस्थल खोले जाने के संबंध में शासन द्वारा गाइडलाइन जारी की गई है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक धर्म-स्थल के अंदर एक बार में एक स्थान पर 05 से अधिक श्रद्धालु न हो, प्रवेश द्वार पर हाथों को कीटाणु रहित करने हेतु एल्कोहल युक्त सैनिटाइजर का प्रयोग किया जाए एवं इंफ्रारेड थर्मामीटर की भी व्यवस्था यथासंभव की जाए। जिन व्यक्तियों में कोई लक्षण प्रदर्शित नहीं होगा केवल उन्हें ही परिसर में प्रवेश की अनुमति होगी। सभी प्रवेश करने वाले व्यक्तियों को फेस कवर/मास्क का प्रयोग करना अनिवार्य होगा। कोविड-19 महामारी के संबंध में रोकथाम संबंधी उपायों के रूप में जन जागरूकता के व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु परिसर में पोस्टर/स्टैन्डीज का प्रयोग प्रमुखता से करना होगा। जहां तक संभव हो आने वाले व्यक्तियों को विभिन्न समूहों में विभाजित करते हुए परिसर में प्रवेश करने की व्यवस्था की जाए जिससे कि अनावश्यक भीड़ भाड़ न हो और संक्रमण का प्रसार न होने पाए। प्रयास हो कि एक स्थान पर एक समय में 05 से अधिक व्यक्ति एकत्रित न हो। जूते/चप्पलों को अपने वाहन इत्यादि में ही उतार कर रखना अपेक्षित होगा यदि आवश्यक हो तो इन्हें प्रत्येक व्यक्ति/परिवार द्वारा स्वयं ही अलग-अलग खांचो/ब्लॉक में रखना होगा। परिसर के बाहर पार्किंग स्थलों पर भीड़ प्रबंधन करते समय सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन करना होगा। पब्लिक ऐड्रेस सिस्टम/माइक से सभी व्यक्तियों/आगंतुकों को कोविड-19 संक्रमण से बचाव के बारे में लगातार जागरूक किया जाए। परिसर के बाहर स्थित किसी भी प्रकार की दुकानों, स्टाल, कैफेटेरिया इत्यादि पर भी पूरे समय सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों का कड़ाई से अनुपालन करना होगा। सोशल डिस्टेंस सुनिश्चित करने हेतु परिसरों में व्यक्तियों के लाइन में खड़े होने के लिए स्पष्ट दृश्य निशान/चिन्ह अंकित कर दिए जाएं। प्रवेश एवं निकास की यथासंभव अलग-अलग व्यवस्था की जाए। लाइनों में सभी व्यक्ति एक दूसरे से कम से कम छह फीट की शारीरिक दूरी पर रहेंगे। बैठने के स्थानों को भी सोशल डिस्टेंसिंग के अनुसार व्यवस्थित किया जाए। वेंटीलेशन/एयर कंडीशनर आदि  के साधनों के प्रयोग के समय तापमान 24 से 30 डिग्री के मध्य होना चाहिए। आर्द्रता की सीमा 40 से 70 प्रतिशत के मध्य होना चाहिए। क्रास वेंटीलेशन का प्रबंधन इस प्रकार से होना चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा ताजी हवा अंदर आ सके। प्रतिरूप/मूर्तियों/पवित्र ग्रंथ आदि को स्पर्श करने की अनुमति नहीं होगी। सभाएं/मण्डली निषिद्ध रहेंगी। संक्रमण फैलने की खतरे के दृष्टिगत रिकॉर्ड किए हुए भक्ति संगीत गाने बजाए जा सकते हैं किन्तु इकट्ठे होकर गायन की अनुमति नहीं होगी। प्रार्थना सभाओं हेतु एक मैट/दरी के प्रयोग से बचा जाए। श्रद्धालुओं को अपने लिए अलग से मैट/दरी/चादर आदि लानी चाहिए जिससे वह अपने साथ वापस ले जा सकते हो। धार्मिक स्थल के अंदर किसी प्रकार के प्रसाद वितरण अथवा पवित्र जल के छिड़काव आदि की अनुमति नहीं होगी। एक दूसरे को बधाई देते समय शारीरिक संपर्क से बचना होगा। श्रद्धालु एवं पुजारी समेत कोई भी किसी को स्पर्श न करें। लंगर/सामुदायिक रसोई/अन्न दान आदि हेतु भोजन तैयार/वितरित करते समय शारीरिक दूरी के मानकों का अनुपालन करना होगा। परिसर के भीतर शौचालय हाथ, पैर धोने के स्थानों पर स्वच्छता हेतु विशेष उपाय करने होंगे। प्रबंधन द्वारा धार्मिक स्थलों की लगातार सफाई और कीटाणु रहित करने के उपाय करने होंगे। परिसर के फर्श को विशेष रूप से कई बार साफ करना होगा। आगंतुक अपने फेस कवर/मास्क/ग्लव्स आदि को सार्वजनिक स्थानों पर नहीं छोड़ेंगे, यदि कहीं ऐसी सामग्री रहती है तो उसका उचित निपटान सुनिश्चित करना होगा। परिसर के अंदर संदिग्ध/पुष्ट केस के मामलों में बीमार व्यक्ति को ऐसे स्थान पर रखा जाए जिससे कि अन्य व्यक्तियों से बिल्कुल अलग हो जाए। डाक्टर द्वारा उसकी जांच परीक्षण होने तक उसे मास्क/फेस कवर दिया जाए। तुरंत निकटतम अस्पताल/क्लीनिक अथवा जिला स्वास्थ्य हेल्पलाइन नंबर 18001805145 को सूचित किया जाए। नामित स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा मरीज और उसके संपर्कों आदि के संबंध में संक्रमण के जोखिम का मूल्यांकन किया जाए, तदनुसार कार्यवाही की जाए। यदि व्यक्ति पाजीटिव पाया जाए तो परिसर को पूर्ण रुप से कीटाणु रहित किया जाए ।

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