कानपुर अटैक में ख़तरनाक साज़िश का ख़ुलासा, जानकर कांप जाएगी रूह


कानपुर अटैक में ख़तरनाक साज़िश का ख़ुलासा, जानकर कांप जाएगी रूह
कानपुर के चौबेपुर मुठभेड़ में बदमाशों ने बड़ी साजिश की थी। वो पुलिसकर्मियों को मारकर शव जलाने के प्रयास में थे। इसीलिए एक के ऊपर एक रखकर शवों के ढेर लगा दिए थे। पुलिस की गाड़ियों को भी फूंकने की तैयारी थी। मगर तभी भारी पुलिस बल पहुंच गया और बदमाश फरार हो गए। गांव की सड़कें खून से रंगी थीं। हालात बयां कर रहे थे कि किस कदर पुलिसकर्मियों पर बर्बरता हुई है।

विकास दुबे के घर तीन तरफ से सड़क आती हैं। तीनों तरफ की सड़कों पर तकरीबन सौ मीटर की दूरी पर इधर उधर खून-खून ही फैला हुआ था। देखने से पता चलता है कि किस तरह से पुलिसकर्मी खून से लथपथ होकर जान बचाने को इधर-उधर भागते रहे। एक पुलिसकर्मी भागा तो उसको बदमाशों ने उसे खटिया पर गिरा लिया और गोलियों से भून दिया। पुलिसकर्मी भाग-भाग कर किसी के घरों में, किसी के बाथरूम में छिप गए। तब बदमाशों ने एक तरह से सर्च ऑपरेशन चलाकर उनको खोज-खोज कर मारा और फिर शव क्षत-विक्षत किए। 
दबिश पड़ते ही पहले से तय साजिश के मुताबिक ग्रामीणों ने पूरे गांव की स्ट्रीट लाइटों को बंद कर दिया था। इससे पुलिसकर्मी समझ ही नहीं पा रहे थे कि उनको भागना किधर है। दूसरी तरफ बदमाशों को गांव का एक-एक कोना पहचाना हुआ था। इसलिए उन्होंने पुलिसकर्मियों को आसानी से घेरकर मौत के घाट उतार दिया।

सीओ देवेंद्र मिश्र और एसओ महेश यादव के अलावा अन्य पुलिसकर्मियों ने मोर्चा लेने का प्रयास किया था। चूंकि पुलिस को इस तरह के भीषण हमले का अंदाजा नहीं था इसलिए उनकी उंगलियां असलहों के ट्रिगर पर नहीं थीं। जब सामने से अंधाधुंध गोली चली तो पुलिसकर्मियों ने असलहे निकालकर जवाबी फायरिंग की मगर बदमाश इतनी अधिक संख्या में थे कि पुलिसकर्मी कम पड़ गए। आखिर में सभी को भागना पड़ा।

वर्ष 2001 में भाजपा के दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री संतोष शुक्ला की थाने में घुसकर हत्या करने के आरोपी रहे और अब दोषमुक्त विकास का परिवार गांव में नहीं रह रहा है। सिर्फ पिता रामकुमार दुबे ही गांव में रहते हैं। मां सरला देवी छोटे बेटे दीपू दुबे के साथ कानपुर में रहती हैं। दीपू दुबे प्रॉपर्टी का बिजनेस करता है। गांव में पिता की देखभाल के लिए विकास ने रेखा और उसके पति कल्लू को बतौर सेवक रखा है। ये दोनों बिकरू के इसी विशालकाय घर में रहते हैं। बताते हैं कि गुरुवार रात जब गोलियां चलीं तब भी ये दोनों रामकुमार के साथ मौजूद थे।

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