कानपुर पुलिस की कहानी में कई झोल,जानिए पूरा मामला

कानपुर पुलिस की कहानी में कई झोल,जानिए पूरा मामला

कानपुर। पैथोलॉजी कर्मी संजीत यादव की अपहरण के बाद हत्या कर दी गई। इस सच्चाई को सामने आने में तकरीबन एक माह का वक्त लग गया। पुलिस अफसरों के बयान, एसएसपी की पत्रकार वार्ता, स्वजन के आरोप और पूरे घटनाक्रम पर नजर डाली जाए तो अभी भी कुछ ऐसा नजर आता है, जिसे पुलिस छिपा रही है। दैनिक जागरण की पड़ताल में पुलिस के कई झूठ पकड़ में आए हैं।

  • झूठ-1 एसपी साउथ अपर्णा यादव से जब पूछा गया कि पुल से फिरौती का बैग फेंकने के बाद पुलिस तत्काल नीचे क्यों नहीं पहुंची ? इस पर उनका जवाब था कि जहां बैग फेंका गया वहां पहुंचने के लिए तकरीबन डेढ़ किमी का चक्कर लगाना पड़ता है। जागरण की पड़ताल में सामने आया कि पुल के ऊपर से बैग फेंकने के स्थान की दूरी महज 100 मीटर है और 30 सेकेंड के अंदर पुलिस चाहती तो मौके पर पहुंच जाती। दूरी का यह झूठ पुलिस ने क्यों बोला?

  • झूठ-2 पुलिस का कहना है कि शव पांडु नदी में फेंका गया, लेकिन पत्रकार वार्ता में हत्यारोपितों ने बताया कि वह कार से शव को बोरी में भरकर ले गए और उजरिया गांव के पास नदी के किनारे फेंका। यदि ये सच है तो पुलिस नदी में शव को क्यों तलाश रही है। शव का न मिलना भी सवालों के घेरे में है।

  • झूठ-3 संजीत की बहन रुचि के बयान भी पुलिस की कहानी पर सवाल खड़े करने वाले हैं। रुचि का कहना है कि तीन हत्यारोपितों ने उसे अलग-अलग कहानी बताई। सवाल यह है कि क्या यहां भी पुलिस ने झूठ बोला।

  • झूठ- 4 फिरौती की कॉल आने के बाद संजीत के स्वजन से पुलिस ने अपहर्ताओं से लंबी बातचीत करने को कहा, ताकि उन्हें ट्रैस किया जा सके। ऐसी एक दो नहीं बल्कि 26 बातचीत हैं, जिसमें स्वजन ने अपहर्ताओं से 20 मिनट तक बातचीत की। इसके बावजूद पुलिस अपहर्ताओं तक क्यों नहीं पहुंच सकी? बाद में पता चला कि पुलिस का सर्विलांस सिस्टम को 13 जुलाई तक सक्रिय ही नहीं था।

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