सीतापुर का ये गाँव कागज़ों पर हो गया ओडीएफ, अधिकारी मस्त



सीतापुर का ये गाँव कागज़ों पर हो गया ओडीएफ, अधिकारी मस्त
सीतापुर । बिसवां ग्राम पंचायत बिसेंडा मजरा सेंमभरपुरवा गांव कागजों पर ओडीएफ हो चुका है , परंतु गांव की हकीकत इसके उलट है। यहां के ग्रामीण आज भी खुले में शौच जाने को विवश हैं। सबसे हैरान करने वाली  बात तो यह है। कि गांव में आंखों से दिव्यांग लाभार्थी अनवरी पत्नी अब्बास का शौचालय पूर्ण नही है।जिस कारण बेसहारा अनवरी खुले में शौच जाने को मजबूर है।अनवरी बताती है कि कई बार ग्राम प्रधान से भी मदद की गुहार लगाई परंतु कोई सुनवाई नही हुई।साहब आंखों से अंधे है प्रधान को कहाँ ढूंढे हमारी परेशानी सुनने देखने वाला कोई नही है।अब कोई बड़े साहब ही हमारी मदद करेंगे। गौरतलब है कि गांव में बने शौचालय अपनी दुरदशा पर आंसू बहा रहे हैं।कुछ शौचालय तो अभी से ही धराशाई हो गए है बेबस गांव वाले अपनी समस्या किसको सुनाए जिम्मेदार अधिकारी अपने ऑफिसों में बैठे आराम फरमा रहे है। कभी जहमत तक नही कि की गांव वाले किस हालात में है।सरकार की योजना का लाभ उन तक पहुँच रहा है कि नही या बीच में ही सरकार की योजनाओं का बंदर बांट हो रहा है।इससे किसी भी जिम्मेदार को कोई फर्क नही पड़ता। आप को बता दूं ग्राम प्रधान का भ्रष्टाचार गांव में इस कदर व्याप्त है। कि गांव वाले काफ़ी परेशान है।


ग्राम प्रधान काफी रसूख दार प्रतीत होता है।क्यों कि प्रधान हरगोविन्द वर्मा के बड़े भाई राकेश वर्मा पंचायत मित्र है और सरकारी गल्ले की दुकान भी उन्हीं के भाई की पत्नी के नाम है।कोटेदारी में भी जमकर धांधली की जाती है गांव के लोग बताते है कि हर राशनकार्ड पर दो से तीन किलो राशन की कटौती की जाती है।पात्र को अपात्र और अपात्र को पात्र बनाना प्रधान के बाएं हाथ का खेल है।प्रधान के खिलाफ कोई भी व्यक्ति शिकायत करने की हिम्मत करता भी है तो ब्लाक स्तर पर बैठे अधिकारी मामले को रफा दफा कर देते है।गांव में बने खड़ंजे में पीला ईट का प्रयोग किया गया है।पर कुछ जिम्मेदार अधिकारियों की मिली भगत से यह सारा कार्य सम्पन्न हो रहे है।गांव वालों में इसका काफी विरोध हो रहा है।पर उनकी सुनवाई कहीं भी नही हो रही है।प्रधान और जिम्मेदार अधिकारी मुख्यमंत्री तक को अंधेरे में रख कर सिर्फ कागजों पर ही विकास के कार्य किये गए है।यदि इसकी जांच की जाये तो और भी भ्रष्टाचार की पोल खुल सकती है।




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