सोशल मीडिया पर सपा के ख़िलाफ़ मुसलमानों का फूटा गुस्सा , जानिए ऐसा क्या हुआ कि मच गया बवाल



सोशल मीडिया पर सपा के ख़िलाफ़ मुसलमानों का फूटा गुस्सा , जानिए ऐसा क्या हुआ कि मच गया बवाल
सोशल मीडिया एक्टिविस्ट शम्स आलम ने समाजवादी पार्टी पर तीखा हमला बोलते हुए कहाकि सपा केवल मुसलमानों को वोट बैंक समझकर राजनीति कर रही है ।
उन्होंने कहाकि सपा मुसलमानों की, और मुसलमान की सपा :
ऐसा ही सुनता आ रहा हूं लेकिन जब इस पर प्रकाश डालो तो सच्चाई कुछ और ही नजर आती है..
बात करते हैं जौनपुर के बीते हुए कल 16/07/2020 की, समाजवादी पार्टी की तरफ से कल 51 लोगों को अलग-अलग पद दिए गए, जिनमें से मुसलमानों को 6 पद मिले, लेकिन जिला स्तर की तो दूर की बात, यहां तक की विधानसभा अस्तर का भी किसी एक मुसलमान को पद नहीं दिया गया.. 9 विधानसभा हैं जिन 9 लोगों को

 विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया उनमें से एक भी मुसलमान नहीं मतलब कि मुसलमानों की इतनी हैसियत नहीं है कि उन्हें विधानसभा अध्यक्ष तक का कार्यभार दे दिया जाए..? वहीं जिन 6 मुसलमानों को पद मिले हैं वह इसी में फूले नहीं समा रहे, सपा में पूरा जीवन गुजारने वालों को छोटे-छोटे पद, उनके सामने के नेता उनसे बड़े पद हासिल कर लिए क्योंकि मसला सब जातिवाद का..
फिर भी मुसलमानों की अक्ल ठिकाने नहीं आ रही, वह अब भी फर्जी सेकुलर वाद को कुली बनकर ढ़ोने में लगे हुए हैं.. जौनपुर के मुसलमानों को चाहिए कि कौम को गर्त करने वाली विचारधारा से, इस अंधकारमय से, अज्ञानता, जहालत, अंधविश्वास, से निकल कर विद्रोह कर दें सपा के खिलाफ..
आखिर कब तक वह हमारा इस्तेमाल करते रहेंगे टिशू पेपर की तरह..?
जिन 6 मुसलमानों को पद मिले हैं अगर उनके अंदर गैरत होगी तो हम कहते हैं कि इसे अपना अपमान समझकर सपा के मुंह पर इस्तीफा दे मारो उनके दिए गए छोटे-छोटे पदों को..


और इस वक्त आपके पास एक बड़ा अवसर है इस फर्जी सेक्युलर पार्टी को सबक सिखाने का, मल्हनी विधान सभा उपचुनाव में मुसलमानों को एक तरफ से बाई काट कर देना चाहिए समाजवादी पार्टी का, ताकि समाजवादी पार्टी को भी तो पता चले कि मुसलमान अब जागरूक हो रहे हैं, अब इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, अब इनको बराबरी का हक चाहिए.. मुसलमान अब आस्तीन के सांप को पहचानने लगे हैं,

मुसलमानों अगर तुम्हारा जमीर जिंदा है तो अपने जमीर के जिंदा होने का प्रमाण दो, जब तुम्हें अपना अधिकार ना मिले तो एक ही विकल्प है विद्रोह करो..
मैं एक छोटा सा उदाहरण देता हूं जब मैं छोटा बच्चा था तो अब्बा से मनपसंद चीजें ना मिलने पर मैं विद्रोह कर देता था, गुस्सा होकर घर से निकल जाता था, ताकि मेरी डिमांड पूरी हो सके.. आई थिंक ऐसा सभी किए होंगे...
तो फिर जब आप एक राजनीतिक पार्टी में जुड़े हुए हैं काफी वक्त से,
उसके बावजूद भी आपको अपना अधिकार नहीं मिल रहा हक नहीं मिल रहा तो क्यों नहीं बगावत पर उतर रहे हैं आप लोग..? क्या आप लोग का जमीर मर गया है या है ही नहीं..?


आखिर कब तक यादव परिवार का टिशू पेपर बने रहोगे..? समाजवादी पार्टी अगर बराबरी नहीं दे सकती बराबर का अधिकार नहीं दे सकती तो लात मारो ऐसी सियासी पार्टी को..
बहुत से विकल्प आपके सामने हैं बस आप अपने विकल्प को ना देखने की कोशिश कर रहे हैं ना उसे पहचानने की..

जबकि इस वक्त कई ऐसे बड़े उदाहरण सामने हैं कि किस तरह से मुसलमानों पर हो रहे जुल्म के खिलाफ समाजवादी पार्टी पूरी तरह से मौन व्रत धारण किए हुए हैं, प्रदेश स्तर की बात किया जाए तो आजम खान का उदाहरण ही काफी है..
जौनपुर जिला स्तर की बात किया जाए तो अभी का ताजा उदाहरण जावेद सिद्दीकी आपके सामने है ।

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