पुलिस को मिली बड़ी सफलता, अवैध असलहा फैक्ट्री का भंडाफोड़, चार गिरफ्तार

पुलिस को मिली बड़ी सफलता, अवैध असलहा फैक्ट्री का भंडाफोड़, चार गिरफ्तार
प्रतापगढ़: 
पुलिस ने अवैध असलहा फैक्ट्री का भंडाफोड़ करते हुए अंतरप्रांतीय असलहा तस्कर समेत चार लोगों को दबोच लिया। जबकि दो लोग भाग निकले। पकड़े गए लोगों के पास से असलहा बनाने के उपकरण और कार बरामद हुई। फरार आरोपियों की तलाश में पुलिस दबिश दे रही है।

पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने बताया कि अंतरप्रांतीय असलहा तस्करों द्वारा ज़िले में निर्मित अवैध असलहों को दूसरे ज़िलों में बेचने की जानकारी के बाद रानीगंज पुलिस व स्वॉट टीम को अलर्ट किया गया था। असलहा तस्करों का पीछा कर पुलिस ने संडौरा में दबिश दी। जहां से पुलिस ने चार असलहा तस्करों को दबोच लिया। जबकि दो भागने में कामयाब रहे।
मौके से छह तमंचा, एक अर्द्धनिर्मित तमंचा, तमंचा बनाने के उपकरण, हथौड़ी समेत अन्य उपकरण मिले। मौके से एक कार भी बरामद की गई। जिसमें असलहा रखकर तस्करी होती थी। पकड़े गए असलहा तस्कर प्रदीप कुमार पांडेय निवासी संडौरा ने बताया कि उसका असलहा तस्करी करने का गिरोह है। वह उसका सरगना है। कई साल से अवैध असलहा बनाकर बेचने का काम कर रहा है।

उन्नाव का रहने वाला बब्लू तिवारी उर्फ पहलवान कई जिलों में अर्द्ध निर्मित असलहों की तस्करी करता है। उसी से वह भी अर्धनिर्मित असलहे खरीदकर लाता है।  घर के करीब एक कमरे में असलहा बनाने का काम होता है। अर्द्धनिर्मित असलहों को बनाकर उसे फतेहपुर, उन्नाव, प्रयागराज में बेचने जाता है। वह छोटे असलहे लेकर बेचने मुंबई भी जाता था।

अब तक वह सौ से अधिक असलहे बेच चुका है। पुलिस ने पकड़े गए प्रदीप कुमार पांडेय उर्फ पिंटू पांडेय पुत्र कृष्णानंद पांडेय निवासी संडौरा, अर्जुन कुमार पांडेय पुत्र लालमणि पांडेय निवासी पूरे चरन मेढ़ौली, सुबेदार सिंह पुत्र ओम प्रकाश सिंह निवासी कटराइंद्रकुंवर नगर कोतवाली, फूलचंद्र पुत्र सुदामा प्रसाद पटेल निवासी बरहुआ भोजपुर नगर कोतवाली को जेल भेज दिया। फरार असलहा तस्कर ओमप्रकाश तिवारी पुत्र देवी प्रसाद निवासी खेमईपुर रानीगंज व असलम पुत्र इश्तियाक उर्फ नन्हे निवासी विष्णु कला की तलाश में पुलिस लगी हुई है। 
पांच व दस हज़ार रुपये में बिकते हैं असलहे
असलहा तस्कर प्रदीप कुमार ने बताया कि वह दूसरे जनपदों में असलहे बेचता था। छोटे असलहों को पांच हज़ार रुपये में और बड़े असलहों को दस हज़ार रुपये में बेचता था। सबसे अधिक आमदनी मुंबई में असलहा बेचने से होती थी। ज़िले में भी असलहा रखने के बहुत से लोग शौकीन हैं।

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