जानिए क्यों सीएम गहलोत पर बरसीं मायावती?
मायावती ने साथ में बसपा के चुनाव चिन्ह पर चुने गए छह विधायकों को विधानसभा सत्र के दौरान किसी भी कार्यवाही में कांग्रेस के खिलाफ वोट देने के लिए कहा है। उन्होंने कहा है कि अगर विधायक ऐसा नहीं करते है, तो उनकी पार्टी की सदस्यता रद कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का ये कार्य संविधान की 10वीं अनुसूची के खिलाफ है। इसलिए बसपा ने 6 विधायकों को व्हिप जारी कर निर्देश दिया है कि ये सदन में कांग्रेस के खिलाफ ही मत डालेंगे। पार्टी ने यह निर्णय कांग्रेस के द्वारा बार-बार धोखा दिए जाने के कारण ही लिया है। कांग्रेस की अब सरकार रहती है या नहीं रहती है। इसके लिए पूर्ण रूप से कांग्रेस और मुख्यमंत्री गहलोत ही दोषी होंगे।
वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बसपा पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट करके कहा है कि भाजपा के अघोषित प्रवक्ताओं ने भाजपा को मदद की व्हिप जारी की है। लेकिन ये केवल व्हिप नहीं है, बल्कि लोकतंत्र और संविधान की हत्या करने वालों को क्लीन चिट है।
बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय के खिलाफ फिर राजस्थान हाई कोर्ट पहुंचे दिलावर
इसी बीच भाजपा विधायक मदन दिलावर ने बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस में विलय के खिलाफ राजस्थान हाई कोर्ट में दूसरी याचिका दायर की है। इससे पहले हाई कोर्ट ने सोमवार को इसे लेकर दिलावर द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी थी। इस दौरान जस्टिस महेंद्र गोयल ने याचिका को आधारहीन बताते हुए इसे अलग से दायर करने की अनुमति दी थी। दिलावर ने याचिका में कहा था कि पिछले साल सितंबर में कांग्रेस में शामिल हुए बसपा के छह विधायकों की विधानसभा से सदस्यता अयोग्य घोषित की जाए। उनका कहना था कि बसपा राष्ट्रीय पार्टी है। पार्टी के विलय के बिना विधायकों का विलय अलग से नहीं हो सकता। याचिका में स्पीकर, सचिव व छह विधायकों को पार्टी बनाया था।
यह है पूरा मामला
दिलावर ने स्पीकर सीपी जोशी के सामने चार महीने पहले बसपा विधायक लखन सिंह (करौली), राजेन्द्र सिंह गुढ़ा (उदयपुरवाटी), दीपचंद खेड़यिा (किशनगढ़ बास), जोगेन्दर सिंह अवाना (नदबई), संदीप कुमार (तिजारा) और वाजिब अली (नगर, भरतपुर) के कांग्रेस में शामिल होने के खिलाफ शिकायत की थी। इस बीच 24 जुलाई को स्पीकर ने शिकायत को निस्तारित कर दिया।
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