कोरोना जांच की फर्जी रिपोर्ट बनाने वाले गैंग का खुलासा, डॉक्टर समेत 2 गिरफ्तार

कोरोना जांच की फर्जी रिपोर्ट बनाने वाले गैंग का खुलासा, डॉक्टर समेत 2 गिरफ्तार

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच दिल्ली पुलिस ने कोरोना की नकली रिपोर्ट बनाने वाले गैंग का पर्दाफाश किया है। दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कोरोना वायरस संक्रमण (Covid-19) नकली रिपोर्ट बनाने के आरोप में एक डॉक्टर और उसके साथी को गिरफ़्तार किया है। गिरफ्तार डॉक्टर का नाम कुश पराशर है और उसका दावा है कि उसने रूस से मेडिकल की पढ़ाई की है। कुश पाराशर अब तक चार नामी टेस्टिंग लैब की 75 नकली COVID-19 रिपोर्ट बना चुका है। इस गैंग के खिलाफ दक्षिण दिल्ली स्थित हौज खास पुलिस थाने में शिकायत की गई थी। इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए इस गैंग का पर्दाफाश किया है। आरोप है कि डॉक्टर  कुश पराशर मरीजों को अपने सहयोगी अमित सिह के साथ मिलकर फंसाता था। इसके बाद कोविड-19 की नकली रिपोर्ट बनाता था। पुलिस पूछताछ में कुश ने खुलासा किया है कि उसने अब तक उसने 75 नकली कोविड टेस्ट रिपोर्ट बनाई हैं, जो नामी जांच लैब के नाम पर हैं। हर रिपोर्ट के लिए 2400 रुपये लेता था, पॉजिटिव या नेगेटिव रिपोर्ट देने के कोई क्राईटेरिया नहीं था, लक्षण देखकर अंदाजे से रिपोर्ट दे देता था।

जागरण संवाददाता से मिली जानकारी के मुताबिक, दक्षिण दिल्ली के मालवीय नगर इलाके में क्लीनिक चलाने वाला डॉक्टर कुश परासर बड़ी पैथलैब्स की नकली रिपोर्ट तैयार कर लोगों को दे देता था और इसकी एवज में बड़ी रकम वसूलता था। डॉक्टर कुश परासर ने पुलिस को बताया कि अब तक वो 75 से ज्यादा लोगों की रिपोर्ट तैयार कर चुका है।

पुलिस पूछताछ में पता चला है कि दक्षिणी दिल्ली में नर्स उपलब्ध करवाने का बिजनेस करने वाले एक व्यक्ति ने डॉक्टर कुश परासर से मुलाकात अपनी 2 नर्स का कोविड-19 टेस्ट करवाने के लिए कहा। इसके बदले डॉक्टर परासर ने पैसे ले लिए और सैंपल भी कलेक्ट करा लिए, लेकिन ये सैंपल लैब में भेजने की जगह डॉक्टर परासर ने अपने सहयोगी अमित सिंह की मदद से कोरोना की नकली नेगेटिव रिपोर्ट बनवाकर उस व्यक्ति को भेज दी।

ऐसे हुआ धोखाधड़ी का खुलासा

दरअसल, एक नकली रिपोर्ट कंप्यूटर पर तैयार करने के दौरान अमित से गलती हो गई। उसने एक नर्स के नाम में गड़बड़ी कर दी। इसके बाद पीड़ित नाम ठीक करवाने के लिए खुद ही लैब में आ गया। यहां आकर उसे पता चला कि इस नाम का कोई मरीज ही उनके यहां रजिस्टर नहीं है और नहीं कभी उसका टेस्ट ही किया गया है।

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