बैक पेन बनते जा रहे बड़े-बड़े गड्ढे

जौनपुर। सड़कों पर जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे हो रखे हैं। सड़कों की हालत खराब है। सड़कें बनती कम हैं, बिगड़ती ज्यादा है। रोज कामकाज के चलते आदमी घर से निकलता है परंतु वह पीड़ा एवं थका हुआ महसूस करता है। ऐसे सड़कों पर निकलकर। आम पब्लिक क्या करे, उसकी मजबूरी है। इन्हीं बड़े-बड़े गड्ढों से गुजरना पड़ता है। बड़े वाहनों के चपेट में आने का डर दो या तीन पहिया वाहनों के लिए मुसीबत है। गड्ढों की वजह से किसी भी वक्त पलट सकती है। दुर्घटना का परिणम हो सकता है। मुख्य मार्ग प्रयागराज (इलाहाबाद) एवं लखनऊ मार्ग वािजदपुर तिराहे से जाय तो वही से ही बड़े-बड़े गड्ढों के दर्शन हो जाते हैं। आगे बढ़ने पर माँ शारदा मैहर देवी मंदिर के पास, लोहिया पार्क, पॉलिटेक्निक चौराहा, नईगंज पेट्रोल पंप, इलाहाबाद एवं लखनऊ मोड़, इलाहाबाद रेलवे क्रासिंग तक पूरी तरह से खराब सड़के दुर्घटना को निमंत्रण दे रही है। लगातार बारिश के बाद सड़क के पानी से भर जाता है और यही गड्ढे लोगों के लिए मुसीबत बनी हुई है। बारिशों में सड़के नदी का रूप ले लेती है। जहां मुख्य मार्ग में खराब सड़क की समस्या बनीं हुई है, वही बारिश के बाद नगर पालिका की अंदरूनी सड़कों में गड्ढे इतने हो गए हैं कि सड़क ही नजर नहीं आत जिसकी वजह से अब यह गड्ढे बारिश के पानी में समस्या बन गए है। सड़कें चौड़ी होने के वावजूद भी जाम व बड़ी वाहनों का डर। ट्रकों के नीचे दो पहिया वाहन न आ जाय। कितनी विषम परिस्थिति है। कहीं सड़कें धंस गई हैं तो कहीं गिट्टियां उखड़कर बिखर गई हैं। सड़कों पर गड्ढों की संख्या इतनी अधिक हो चुकी है कि आए दिन लोग चोटिल हो रहे हैं। कई क्षेत्रों में तो स्थिति गंभीर होने के कारण पैदल आवागमन में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मरम्मत हो रहा है परंतु सुस्त है। इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। चारों ओर धूल का अम्बार है। लोग तब भी आ-जा रहे है। जैसे गढ्ढों से दोस्ती कर ली हो और डाक्टर का खर्च अलग से दमा और कमर दर्द। आम जनता परेशान है। किससे अपनी व्यथा कहने जाए।

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