अब खिड़की से नहीं, लाटरी से रेल टिकट देते हैं जीआरपी व आरपीएफ के जवान

जौनपुर। रेलवे स्टेशन भंडारी से अब कलकत्ता, मुम्बई, गुजरात, दिल्ली आदि कहीं के लिए यदि रेलवे आरक्षण टिकट चाहिए तो खिड़की पर नही, बल्कि आरपीएफ या जीआरपी पुलिस से संपर्क करना होगा। ये दोनों विभाग के लोगों द्वारा कागज का टोकन बनाकर देते हुये समय सुनिश्चित किया जाएगा कि आपको एसी टिकट या जनरल में आरक्षण चाहिए, उसके हिसाब से आपकी अलग-अलग लाइन में खड़ा कर दिया जाएगा। जब शाम को 4 बजेगा तो जीआरपी एवं आरपीएफ के निरीक्षकों की देख-रेख में अलग-अलग लाइनों में लगे लोगों को उनके द्वारा बताए गए टोकन के सामने लॉटरी के रूप में चिट रखकर दूसरों से 3 या 4 चिट उठवा लिया जाएगा और बाकी लोगों को तत्काल रेलवे प्लेटफॉर्म से खदेड़ दिया जायेगा। अब सवाल यह उठता है कि एसी व जनरल में कुल जौनपुर स्टेशन से 7 से 8 ही यात्री गोदान सहित अन्य ट्रेनों से सफर करेंगे? क्या इससे जनता सन्तुष्ट हो सकेगी? क्या यह व्यवस्था जो आरक्षी विभाग द्वारा किया जा रहा है, उसमें कितनी सत्यता है? यह जांच का विषय है। बताते चलें कि इन दोनों विभाग से मिले लॉटरी टोकन को लेकर पूरी रात आपको स्टेशन या इर्द-गिर्द ही रहना है। सुबह आरक्षण खिड़की खुलने तक तभी आपको टिकट मिलेगा, अन्यथा नहीं। वह टोकन दूसरे को दे दिया जाएगा। सूत्रों की मानें तो यहां दाल में काला नहीं, बल्कि पूरी दाल ही काली मिलेगी। सवाल उठता है कि क्या जौनपुर का कुल सीट का कोटा (संख्या) 7 से 8 ही है। अगर ज्यादा है तो वह टिकट कैसे कब और कौन बनाता है? क्यों नहीं मिल पाता सभी को सुनिश्चित कोटा के बराबर का टिकट? जीआरपी व आरपीएफ के निरीक्षकों से बात करने पर उन्होंने बताया कि यदि हम ऐसा न करें तो जो 6-7 को टिकट मिल पा रहा है, वह भी नहीं मिलेगा जबकि उन्होंने यह भी बताया कि बाहरी दलाल अब स्टेशन से दूर हैं। रेलवे कर्मचारियों का काम अगर ए दोनों विभाग पूर्णतः कर रहे हैं तो इससे अब तक केंद्र सरकार का कितना राजस्व बचा? जहाँ स्टेशन से रेलगाड़ी व जनता तक की सुरक्षा का कार्य करने वालों ने यदि टिकट दिलाने का कार्य कर रहे तो राज्य व केंद्र सरकार के राजस्व बहुत बचाया जा सकता है। क्यों न पूरे रेलवे स्टेशनों का सम्पूर्ण कार्य इन्हीं दोनों विभागों को सुपुर्द कर दिया जाय? जो सुरक्षा के साथ रेलवे का भी कार्य सम्पादित करेंगे। टिकट खिड़की पर सही ढंग से अपने कार्य को न करना उसमें लापरवाही करने के कारण, वहां पर सुरक्षाकर्मियों द्वारा शांतिपूर्ण व्यवस्था न करने की स्थिति में एक नायाब व्यवस्था ही लागू कर दिया जिसमें चरितार्थ हो रहा कि आम के आम गुठलियों के दाम।

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