स्ववित्तपोषित शिक्षक संघ यूनिवर्सिटी के निर्णय से नाराज़,जानिए क्या है मामला

स्ववित्तपोषित शिक्षक संघ यूनिवर्सिटी के निर्णय से नाराज़,जानिए क्या है मामला
जौनपुर । वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय स्ववित्तपोषित शिक्षक संघ जौनपुर 13 मार्च 2020 के निर्गत शासनादेश को लेकर कार्य परिषद ने जो निर्णय लिया है उस पर नाराजगी जताई है और आरोप लगाया है कि पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद में शासनादेशों की धज्जियां उड़ाई गई है और शासनादेश की मंशा के खिलाफ मनमाने ढंग से शिक्षक हितों के विपरीत निर्णय लिए गए हैं। शिक्षकों ने कुलसचिव को प्रत्यावेदन देकर मांग की है कि जब तक शिक्षक प्रतिनिधियों से इस संबंध में वार्ता ना हो जाए ,तब तक कार्यपरिषद के निर्णय को स्थगित रखा जाए।शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ अनुराग मिश्र ने बताया कि शासनादेश में स्पष्ट शब्दों में लिखा गया है कि शिक्षकों की सेवाएं पाठयक्रम के चलते रहने तक जारी रहेंगी। किंतु विश्वविद्यालय प्रशासन ने शासनादेशों की अनदेखी करते हुए विश्वविद्यालय परिसर में कार्यरत शिक्षकों के लिए प्रतिवर्ष अप्रेजल रिपोर्ट तथा पांच साल की संविदा और महाविद्यालयों के शिक्षकों के लिए प्रति 5 वर्ष पर संविदा नवीनीकरण का प्रावधान कर दिया है। जो पूरी तरह से न केवल शासनादेश के विपरीत है, अपितु माननीय उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों की अवमानना भी है। महामंत्री अभय मालवीय ने कहां कि विश्वविद्यालय में संविदा नवीनीकरण के नाम पर एक दुकान चलाई जाती है जिसमें अवैध वसूली की जाती है और उसी वसूली को जारी रखने के लिए इस तरह के काले कानूनों का सृजन मनमाने ढंग से किया जा रहा है।यदि विश्वविद्यालय अपनी मनमानी पर अंकुश नहीं लगाता है और कार्य परिषद के  निर्णय को स्थगित नहीं करता है तो शिक्षक आंदोलन करने को बाध्य होगा जिसकी समस्त जिम्मेदारी विश्वविद्यालय के कुलसचिव महोदय की होगी।

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