उत्तर प्रदेश 2022 के चुनाव से पहले सिमटती दिख रही बसपा और कांग्रेस

बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती का समाजवादी पार्टी के प्रति उपजा गुस्सा और भाजपा के प्रति प्यार, झुकाव ने यूपी के राजनितिक फलक पर नए समीकरणों को जन्म दिया है| इस बदलाव ने सभी राजनीतिक दलों के हाथ पर दो-दो बताशे रख दिए हैं. लड्डू-चमचम के जमाने में यही बताशा पाकर सब खुश हैं| इस कोरोना काल में सबकी दीवाली भी बेहद मनभावन होने जा रही है.

सब हो रहे खुश

सबकी दीवाली बेहतरीन होने के अपने-अपने कारण और तर्क हैं. कांग्रेस की ख़ुशी का कारण भाजपा-बसपा की नजदीकी है. उसे यह भरोसा है कि इससे उसका अपना पुराना वोट बैंक वापस मिल जाएगा. भाजपा की ख़ुशी इस बात से है कि उसे दलित वोटों का लाभ मिल सकता है. समाजवादी पार्टी खुश है क्योंकि बसपा सुप्रीमो की एक चूक से मुस्लिम वोट उसकी ओर एकतरफा आ जाएंगे और मायावती खुश हैं क्योंकि उन्हें सपा से बदला लेना है और वे इसमें खुद को कामयाब भी मान रही हैं. राजनीतिक नब्ज देखें तो पता चलता है कि विधान सभा चुनाव की दृष्टि से पहले से ही कमजोर बसपा और कमजोर हुई है. इसका सीधा फायदा सपा को मिलता हुआ दिखाई दे रहा है. आज के हिसाब से विधान सभा चुनाव-2022 में भाजपा-सपा ही लड़ाई में दिखते हैं.

भाजपा टॉप और कांग्रेस पहुँची सबसे नीचे

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