क्रय केंद्रों की मनमानी से परेशान होकर दो भाइयों ने ग्रामीणों में लुटाए 32 बीघा धान

क्रय केंद्रों की मनमानी से परेशान होकर दो भाइयों ने ग्रामीणों में लुटाए 32 बीघा धान

रामपुर। खून पसीना एक कर पैदा की गई फसल को बेचने के लिए जब धक्के खाने पड़ें और फिर भी सही दाम न मिल पाए तो हौंसला टूट जाता है। ऐसा ही हुआ है जिले की स्वार तहसील के बधुआखड़ा निकट नबीगंज गांव निवासी दो भाइयों जितेंद्र सिंंह व महेंद्र सिंंह के साथ। क्रय केंद्रों की मनमानी का शिकार हुए इन दोनों भाइयों ने अपने 32 बीघा खेत में खड़ी धान की फसल को यूं ही फोकट में गांव वालों के हवाले कर दिया।

सरकार ने धान खरीद के दौरान किसानों को कोई परेशानी न हो, इसके लिए पूरी व्यवस्था की है। उसके बाद भी क्रय केंद्रों का हाल बुरा है। वहां धान बेचने के लिए किसानों को एडिय़ां घिसनी पड़ रही हैं। उसके बाद भी उनका धान नहीं लिया जा रहा। बाद में वही धान उनसे औने पौने दामों पर केंद्र प्रभारियों के लाडले बिचौलिए खरीद लेते हैं। उसके बाद केंद्र पर उनसे वही धान खरीद लिया जाता है। इस सबसे क्षेत्र के किसान अब आजिज आ चुके हैं। इसी का नतीजा है कि स्वार क्षेत्र के इन दो भाइयों ने ऐसा निर्णय ले डाला। उन्होंने व्यवस्था के विरोध में कहें या फिर हताश होकर, बड़े अरमान से 32 बीघा खेत में खड़ी अपनी फसल को गांववासियों को सौंपने का निर्णय कर लिया। जैसे ही उन्होंने इसकी घोषणा की। गांव वाले अपने हंसिया आदि लेकर खेत की ओर दौड़ पड़े। सबमें फसल को काट कर घर ले जाने की आपाधापी मच गई। खेत स्वामियों ने बताया कि क्रय केंद्रों पर जा रहे हैं तो टालमटोल की जा रही है। उत्तराखंड की मंडियों में एक हजार रुपये तक धान बिक रहे हैं। लगाई से कटाई तक की पूरी जमा भी लौट कर नहीं आ रही है। इससे परेशान होकर उन्होंने 32 बीघा जमीन पर लगे धानों को गांव के ग्रामीणों के हवाले कर दिया है। एसडीएम यमुनाधर चौहान ने बताया कि किसानो द्वारा धान की फसल को गांव वालों के हवाले करने का मामला सामने आया है। लेखपाल को मौके पर भेज जांच करवाई जा रही है।

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