आखिर भ्रष्टाचार में कौन डॉक्टर था शामिल,पुलिस पता नहीं लगा सकी
आठ सितंबर 2020 को सिपाही भर्ती परीक्षा 2018 में पास कराने वाले गए गिरोह का राजफाश हुआ था। भर्ती बोर्ड के दारोगा की तहरीर पर कर्नलगंज थाने में पीटीआइ सिपाही बृजेंद्र सिंह के खिलाफ मुकदमा लिखा गया था। इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर पूछताछ की तो पता चला कि फूलपुर के एक और अभ्यर्थी से पैसा लिया था। पैसा दिलवाने वाले झूंसी निवासी युवक को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। मामले की विवेचना सीओ कर्नलगंज कर रहे हैं, मगर अब तक पूरी नहीं हो सकी है।
पेटीएम से लिया था पैसा
सिपाही भर्ती की लिखित परीक्षा में पास हुए अभ्यर्थियों का पुलिस लाइन में मेडिकल टेस्ट हो रहा था। फाफामऊ शांतिपुरम निवासी अभ्यर्थी राघवेंद्र त्रिपाठी का भी मेडिकल परीक्षण हुआ लेकिन वह प्लैट फीट में फेल हो गया। राघवेंद्र का आरोप है कि पीटीआइ सिपाही बृजेंद्र ने डॉक्टरों की मदद से मेडिकल टेस्ट में पास कराने की बात कही। इसके बाद पेटीएम के जरिए दो बार में 40 हजार रुपये ले लिए। जब मेडिकल टेस्ट का रिजल्ट आया तो राघवेंद्र का नाम नहीं था। वह फेल हो गया था। पास कराने के नाम पर उससे पैसा भी ले लिया गया था लेकिन काम नहीं हुआ।
बोर्ड के अधिकारी भी परेशान
पुलिस भर्ती बोर्ड में जब शिकायत पहुंची तो अधिकारियों व कर्मचारियों में खलबली मच गई। फिर भर्ती बोर्ड के दारोगा बृजेश बहादुर सिंह ने कर्नलगंज थाने में लिखित शिकायत की। इसके आधार पर मुकदमा लिखा गया। कुछ अधिकारियों का कहना था कि बृजेंद्र ने कई अभ्र्यिथयों से पास कराने के नाम पर पैसा लिया था, लेकिन बाद में सिर्फ एक का नाम सामने आया। मेडिकल बोर्ड का कौन सा डॉक्टर बृजेंद्र का मददगार था, यह भी अनुत्तरित है।
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