असली पुलिस की पकड़ में नहीं आ रही नकली पुलिस,STF बनकर भी ठगी को दिया अंजाम

असली पुलिस की पकड़ में नहीं आ रही नकली पुलिस,STF बनकर भी ठगी को दिया अंजाम

लखनऊ। राजधानी में टप्पेबाजों का गिरोह सक्रिय है। नकली पुलिस व एसटीएफकर्मी बनकर टप्पेबाज लोगों की गाढ़ी कमाई हड़प रहे हैं और असली पुलिस ही नकली पुलिस का पता नहीं लगा पा रही है। कई मामलों में सीसी फुटेज होने के बावजूद पुलिस टप्पेबाजों का पता नहीं लगा सकी है। टप्पेबाजों का पता लगाने व घटनाओं को काबू करने के लिए एक पुलिस टीम का भी गठन हुआ था, लेकिन उसका भी कोई खास असर नहीं दिख रहा। हालांकि चौक पुलिस ने महाराष्ट्र से एक टप्पेबाज को गिरफ्तार कर कुछ घटनाओं का राजफाश किया था, लेकिन इसका भी राजधानी में सक्रिय अन्य टप्पेबाजों के गिरोहों पर कोई खास असर नहीं पड़ रहा। संबंधित पुलिस अफसरों ने जल्द ही कुछ और टप्पेबाजों को पकड़ घटनाओं के राजफाश की बात कही है।

पुलिसकर्मी बन शिक्षिका के गहने उड़ाए थे: आशियाना थाना क्षेत्र में टप्पेबाजों ने एलडीए कॉलोनी के सेक्टर डी निवासी शिक्षिका इंदू नायर से 20 अक्टूबर की सुबह जेवर उड़ा दिए थे। वह रिक्शे से जा रही थीं। तभी टप्पबाजों ने खुद को पुलिसकर्मी बताकर फटकार लगाते हुए गहने उतरवा लिए। महिला को एक कागज में कांच की चूड़ी देकर असली जेवर लेकर फरार हो गए।

एसटीएफ से बताकर जेवर उड़ाए थे

9 अक्टूबर को विराजखण्ड तीन में रहने वाली महिला घर के बगल में लगे पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने पहुंची। दो लोगों ने यह कहकर जेवर उतरवा लिए कि वे एसटीएफ से हैं। ज्यादा जेवर पहनने वाली औरतों पर जुर्माना लगाना है। जेवर उतारकर एक कागज में दे दिए। घर जाकर कागज खोला तो उसमें कांच की चूड़ियां थीं। वह रोज जल चढ़ाती थीं।

आईएएस से नकदी व जेवर उड़ाने वालों का भी सुराग नहीं लगा सकी पुलिस: मड़ियांव कोतवाली के पास 7 अक्टूबर  को आईएएस डॉ वेदपति मिश्रा से टप्पेबाजी के मामले में अभी भी पुलिस के हाथ खाली हैं। टप्पेबाजों को पकड़ना तो दूर पुलिस अभी उनका सुराग भी नहीं लगा सकी है। टप्पेबाज 50 हजार रुपये और जेवर उड़ा ले गए थे। आईएएस की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज पूरी घटना को ही दबा दिया था।

चौराहों पर लग रहीं टप्पबाजों की होर्डिंग

धोखाधड़ी और टप्पेबाजी करने वालों की होर्डिंग मुख्य चौराहों और कोतवाली पर लगवा दिए हैं। इससे पुलिस की कोशिश है कि आम जनता टप्पेबाजों को अच्छे से पहचान सके औक उनके साथ हो रही टप्पेबाजी पर अंकुश लग सके।  जनता इससे जागरूक हो सके। उद्देश्य यह भी है कि टप्पेबाजी की घटनाओं पर अंकुश लगने के साथ जल्द ही टप्पेबाज पुलिस की गिरफ्त में आ सके।

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