दीन दुखियों की सेवा करना मानव जीवन का सबसे बड़ा धर्म

जौनपुर। पूर्वांचल की आस्था का केंद्र शीतला चौकियां धाम में चल रहे श्री राम कथा के तीसरे दिन डा. अखिलेश पाठक ने बताया कि दीन दुखियों की सेवा करना ही मानव जीवन का सबसे बड़ा धर्म है। किसी भूखे को भोजन कराना, पीड़ित की सहायता, गरीब बहन-बेटियों की शादी में मदद करना, असहाय लोगों की सहायता करना, रोग से पीड़ित का उपचार कराना आदि कार्यों को जीवन में करने मात्र से ही परमात्मा की कृपा सदैव बनी रहती है। वाराणसी से पधारे कथावाचक डा. मदन मोहन मिश्र ने लंका काण्ड के प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि जब शुक और सारण नाम के दो राक्षस रामा दल में आकर पक्षी का भेष बनाकर गुप्त रूप से जानकारी ले रहे होते हैं। तभी विभीषण की नजर इन मायावी राक्षस के ऊपर पड़ती है। उसके बाद रामा दल की सेना उसे पकड़ लेते हैं और प्रभु श्री रामचंद्र जी के पास ले जाते हैं पूछे जाने पर बताता है कि हम लंकापति रावण के भेजे हुए गुप्तचर हैं। मुझे यहां देखने के लिए भेजा गया था। सेना के बैठक में वानर दल मृत्युदंड देने की बात करते हैं। रामचंद्र जी कहते हैं कि दूत को मारना पाप व अधर्म है। रामचंद्र जी उसे छोड़ देते हैं। इस अवसर पर रामआसरे साहू, विजय गुप्ता, शिवआसरे गिरी, सचिन गिरी, सुरेंद्र गिरी, प्रवीण पाण्डेय, भगत जी, मदन गुप्ता, प्रवेश तिवारी आदि मौजूद रहे।

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