महराजगंज के अपहृत छह वर्षीय बच्चे की हत्या, अपहर्ताओं ने 50 लाख की मांगी गई थी फिरौती
महराजगंज के एसपी प्रदीप गुप्ता ने बताया कि बुधवार को अपहरण का मुकदमा दर्ज कर पुलिस पीयूष की तलाश में लगी थी। आशंका के आधार पर गांव के छह लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही थी। शनिवार की देर शाम मनीष ने बच्चे के अपहरण व हत्या की बात स्वीकार कर ली। एसपी ने बताया कि बुधवार को ही 14 वर्षीय मनीष ने पीयूष की गला घोंटकर हत्या कर शव को गांव में ही एक घर में सीढ़ी के नीचे छिपाया था।
अपहरण की बात सामने आने पर पुलिस ने जब लोगों से पूछताछ शुरू की तो उसने शव को दो दिन पूर्व घर से निकाल खेत में ले जाकर दफना दिया। उन्होंने बताया कि पीयूष और उसके स्वजन मनीष को बार-बार चोर-उच्चका कहकर चिढ़ाते थे। जब वह चिढ़ाने पर पीयूष की शिकायत लेकर उसके स्वजन के पास जाता था तो उसकी गलती न मानते हुए मनीष को ही दोषी माना जाता था। हमेशा चिढ़ाने से आक्रोशित होकर मनीष ने इस घटना को अंजाम दिया। हत्यारोपित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है।
स्वजनों ने लगाया पुलिस पर कार्रवाई न करने का आरोप
पीयूष का शव बरामद होने के बाद शनिवार को कोतवाली परिसर में उपस्थित स्वजन दहाड़े मारकर रोने लगे। इसी दौरान पीयूष के पिता दीपक व चाचा नागेश्वर ने पुलिस पर कार्रवाई न करने का भी आरोप लगाया। चाचा नागेश्वर ने कहा कि पांच सितंबर को शिकायत के बाद भी पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। अब जब बच्चे का अपहरण हो गया था तब भी पुलिस ने मामले में कोई भी कार्रवाई नहीं की। स्वजनों ने पुलिस पर कार्रवाई की मांंग की है।
घटनास्थल के पास से ही लौट आती थी पुलिस टीम
कोतवाली के बांसपार निवासी पियूष गुप्ता के अपहरण के मामले में उसका शव अपहरण के बताए स्थान से मात्र 50 मीटर दूरी पर दफन था। पुलिस शव के आस पास ही जांच करती रही। लगभग नौ बार पहुंची पुलिस टीम घटनास्थल से ही लौट आती थी। शनिवार की रात आरोपित की निशानदेही के बाद पुलिस ने जब मकान से 100 मीटर की दूरी से शव बरामद किया तो गांव में हाहाकार मच गया। शव निकालने के वक्त मौके पर एसपी प्रदीप गुप्ता के साथ अपर पुलिस अधीक्षक निवेश कटियार, स्वाट टीम प्रभारी शंशाक शेखर राय आदि ने फोर्स के साथ पहुंचकर शव को कब्जे में लिया।
शव निकालने से पूर्व शनिवार को भी दो बार लौट आई थी सर्च टीम
शनिवार की शाम आरोपित से पूछताछ शुरू होने के बाद सर्च टीम सक्रिय रही। जैसे ही अारोपित ने अपहरण कर बच्चे को गांव के ही प्रेम के घर में रखने की बात बताई तो सर्च टीम तुंरत प्रेम के घर पहुंच गई और पूरा घर छान मारा। लेकिन बच्चा नहीं मिला, आरोपित ने पुन: रामसजन के घर में बच्चे को छिपाने की बात कही, वहां भी खोजा गया लेकिन वहां भी नहीं मिला। पुन: आरोपित को कोतवाली लाया गया, जहां कड़ाई से पूछताछ के बाद आरोपित ने हत्या की बात कबूल की। हत्या की जानकारी होते ही कोतवाली में बैठी टीम सन्न रह गई और फिर एसपी के नेतृत्व में टीम घटनास्थल पर पहुंची जहां शव की बरामदगी हुई।
तीन माह पूर्व मनीष ने बुन ली थी अपहरण की कहानी
पुलिस की लापरवाही की कीमत मासूम पीयूष को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। तीन माह पूर्व यदि पुलिस ने आवश्यक कदम उठाया होता तो पीयूष की जान बच सकती थी। सदर कोतवाली क्षेत्र के बांसपार बैजौली में मासूम पीयूष के अपहरण की कहानी मनीष तीन माह पूर्व से बुन रहा था। इस मामले में पुलिस ने कदम-कदम पर लापरवाही बरती। पांच सितंबर को चाचा नागेश्वर ने जब कोतवाली में अपहरण की धमकी से जुड़ा प्रार्थना पत्र दिया तो वहां से कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई। इसके बाद उसने पुलिस अधीक्षक कार्यालय में भी प्रार्थना पत्र देकर गुहार लगाई। एसपी कार्यालय से प्रार्थना पत्र को कोतवाली में भेज आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया गया। पुलिस अधीक्षक के निर्देश के बाद भी कोतवाली पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। पांच सितंबर को पहले वाट्सएप मैसेज भेज पांच लाख की फिरौती मांगी गई। बात जब नहीं बनी तो आधी रात दीपक के घर का दरवाजा पीट स्वजन को डराने का प्रयास मनीष ने किया। नौ दिसंबर को पीयूष का अपहरण करने के बाद मनीष देर शाम मोटरसाइकिल की लाइट बुझा फिरौती के लिए पत्र भेज फरार हो गया। पत्र में शेषमणि गुप्ता के मोबाइल नंबर पर रिचार्ज कराने की बात लिखी गई थी। स्वजन इतने भयभीत हुए कि तत्काल बताए नंबर पर रिचार्ज करा दिए । फिरौती के लिए भेजे गए पत्र की हैंडराइटिंग के आधार पर पुलिस ने शातिर मनीष को शिकंजे में ले लिया।
चार दिनों तक वाट्सएप पर मैसेज करता रहा मनीष
बीते पांच सितंबर से आठ सितंबर 2020 तक मनीष पीयूष गुप्ता के पिता दीपक को फिरौती के लिए वाट्सएप पर मैसेज भेजता रहा। संवाद में इस बात का भी उल्लेख है कि नोटों की जगह कागज की गड्डी फेंक दी गई। जिसके चलते आक्रोशित मनीष ने आठ तारीख को अंतिम मैसेज कर पीयूष व उसकी बहन के अपहरण की बात लिखी।
अपहरण के खेल में दो मोबाइल नंबरों का किया प्रयोग
पीयूष के अपहरण के मामले में मनीष ने दो मोबाइल नंबरों का प्रयोग किया। यह दोनों नंबर पड़ोस की रहने वाली सावित्री देवी व शेषमणि गुप्ता का है। पुलिस ने जब दोनों को पूछताछ के लिए उठाया तो उन्हाेंने घटना से अनभिज्ञता जताते हुए बताया कि उनका मोबाइल कुछ दिन पूर्व गायब हो चुका है। पीयूष गुप्ता के अपहरण की साजिश मनीष ने एक पेशेवर अपराधी की तरह रची। पहले पड़ोस की सावित्री देवी का मोबाइल चुराया। उसी मोबाइल से दीपक गुप्ता को मैसेज कर पांच लाख की फिरोती मांगी गई । जब सावित्री देवी ने पुराने नंबर पर दूसरा सिम ले लिया तो मैसेज आना बंद हो गया। 15 दिन पूर्व ही शेषमणि गुप्ता का मोबाइल चोरी कर मनीष ने उस नंबर का उपयोग किया।

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