शाही शादियां होने से जगमग हुई जौनपुर राज हवेली

शाही शादियां होने से जगमग हुई जौनपुर राज हवेली 
आरिफ़ हुसैनी
जौनपुर । कभी राजनीति का केंद्र रही जौनपुर रियासत की शाही हवेली अब जयपुर की तर्ज पर हो रही शाही अंदाज की शादियों से जगमग हो गई है। राजनीतिक के अखाड़े वाली इस पुरानी इमारत में राजा-महाराजाओं के ठाठ-बाट के हिसाब से विवाह कराया जा रहा है। ऐसे में दुधिया रोशनी में नहाकर राजा का भवन आकर्षक लगने लगा है।
जौनपुर रियासत की स्थापना तीन नवंबर 1797 को हुई थी। इसके पहले राजा शिवलाल दत्त रहे तो वर्तमान में 12 वें राजा के रूप में कुंवर अवनींद्र दत्त दुबे हैं। कहा जाता है यहां जैसी ऐतिहासिक व नक्काशीदार हवेली पूर्वांचल में ही शायद कही हो। 224 वर्षों पुरानी इस राज हवेली के कुछ हिस्सों का रखरखाव नहीं हो पा रहा था। इसे देखते हुए कुंवर अवनींद्र दत्त दुबे ने नगर के प्रमुख व्यवसायी विवेक सेठ मोनू व विनीत सेठ को यहाँ मैरिज लान संचालन के लिए किराए पर दे दिया। जिसकी मरम्मत होने के बाद अब यहां शाही अंदाज में शादियां हो रही हैं। शादी समारोह में सजने के बाद लोग हवेली को देखने के लिए पहुंच रहे हैं।
वर्तमान राजा अवनींद्र दत्त दुबे के पिता राजा यादवेंद्र दत्त दुबे जनसंघ व भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे। जो दो बार सांसद, चार बार विधायक व विधान मंडल में नेता विरोधी दल भी रहे। इनकी गिनती भाजपा के बड़े नेताओं में होती थी। इस वजह से यहां जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी समेत शीर्ष नेताओं का आना-जाना हुआ करता था। कहा जाता है कि राजा यादवेंद्र दत्त के सामने सम्मान में कभी अटल बिहारी वाजपेयी बैठते तक नहीं थे। पं.दीनदयाल उपाध्याय ने 1963 का उपचुनाव इसी हवेली में रहकर लड़ा था। यहां पर आरएसएस के द्वितीय सरसंघ चालक गुरु गोलवलकर, आरएसएस नेता भाऊराव देवरस, वेणु गोपालन, भारतीय जनसंघ के नेता नानाजी देशमुख भी आया करते थे और महीनों रहा करते थे।

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