कानपुर आईआईटी के विशेषज्ञ पर्दे के चिट्टी को अब हकीकत के पर्दे पर उतार रहे
अभी तक देश में मशीन लर्निंग और आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस और प्रोग्रामिंग के जरिए रोबोट को संचालित किया जा रहा है, उनसे कई तरह के काम लिए जाते हैं। निर्देशों के आधार पर फंक्शन भी करते हैं, लेकिन उनके अंदर अब इंसानों की तरह सोचने, समझने व भावुक होने की खूबी डाली जा रही है। शुरुआत बच्चों के इमोशन के साथ की गई है। केंद्रीय विद्यालय के बच्चों को रोबोट के साथ रखा जाता है। रोबोट उनके साथ खेलते हैं, भावनात्मक संबंध स्थापित करते हैं। बच्चों की खुशी, गुस्सा, उत्साह और तनाव आदि के हाव-भाव रिकार्ड किए जाते हैं। इसमें आंख की पुतली, चेहरे की गर्मी, ब्लड प्रेशर और आक्सीजन लेवल की जांच की जा रही है।
आइआइटी के विशेषज्ञों के मुताबिक, रोबोट अहसास कर सकेगा कि बच्चे को कब गुस्सा आता है, कब खुशी मिलती है और किस बात से डरता है। वह माता-पिता, भाई या बहन से कैसा इमोशन रखता है। रोबोट प्रोग्रामिंग के जरिए इनकी फीडिंग के बाद बच्चों के इमोशन को भांपकर अपनी प्रतिक्रिया देगा। बच्चे के दुखी या भयभीत होने पर रोबोट उसको समझाएगा। यही बात गुड और बैड टच पर निर्भर करती है। वह बच्चे को मदद करेगा। रोबोट के पास आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस के दम पर निर्णय लेने की क्षमता होगी। वह शोर मचा सकेगा, अलर्ट भी जारी करेगा या एक्शन लेगा।
नए विभाग में ये काम
प्रो. बिशाख भट्टाचार्या ने बताया कि कॉगनीटिव साइंस में दिमाग का अध्ययन किया जाता है। नए विभाग में कंप्यूटर वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक, न्यूरोसाइंटिस्ट, भाषाविद्, दार्शनिक आदि शामिल हैं। यहां मानव मस्तिष्क और कंप्यूटरीकृत कृत्रिम दिमाग पर काम चल रहा है। इसमें मनुष्य की न्यूरो संबंधी दिक्कतों को भी शामिल किया गया है। कंप्यूटर को इमोशनल करने की तैयारी है। रोबोट बच्चों के बदलते स्वभाव, एकाकी जीवन, अवसाद को कम करने के लिए तैयार किया जा रहा है।
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