किसान संगठनों को SC का नोटिस,कहा-सरकार व किसान कमिटी बना आपसी सहमति से सुलझाएं मामला
तमिलनाडु और पंजाब-हरियाणा की तुलना नहीं: CJI
कोर्ट में एडवोकेट जीएस मणि ने कहा कि मैं किसान परिवार से आता हूं, इसलिए अपील की है। इसपर कोर्ट ने उनसे जमीन के विषय में सवाल किया और उन्होंने जवाब दिया कि उनकी जमीन तमिलनाडु में है। इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि तमिलनाडु व पंजाब-हरियाणा की तुलना नहीं की जा सकती है। चीफ जस्टिस ने अदालत में कहा कि जो याचिकाकर्ता हैं, उनके पास कोई ठोस तर्क नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि रास्ते बंद किसने किए। सॉलिसिटर जनरल ने इसका जवाब दिया कि किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और दिल्ली पुलिस ने रास्ते बंद किए हैं।
याचिका में की गई है ये मांगें-
किसान आंदोलन के खिलाफ लॉ स्टूडेंट ऋषभ शर्मा (Rishabh Sharma) ने याचिका दायर की है। उन्होंने याचिका में कहा है कि किसानों के आंदोलन के कारण सड़क जाम होने से आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि इस तरह किसानों की भीड़ से कोविड संक्रमण के आंकड़े भी बढ़ सकते हैं। इन सब कारणों से अधिकारियों को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वे केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को तत्काल हटाएं। याचिकाकर्ता ने आगे दावा किया है कि दिल्ली पुलिस ने 27 नवंबर को आंदोलनकारी किसानों को बुराड़ी में निरंकारी ग्राउंड जाकर प्रदर्शन करने की सलाह दी थी लेकिन वे नहीं माने और दिल्ली की सीमाओं पर ही प्रदर्शन कर रहे हैं।
आज चिल्ला बॉर्डर पर किसानों का सख्त पहरा
इस बीच आज दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाले चिल्ला बॉर्डर (Chilla border) पर सुरक्षा व्यवस्था को सख्त कर दिया गया है। दरअसल, किसान यूनियन के नेताओं ने मुख्य बॉर्डरों को जाम करने की चेतावनी दी है। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि किसी भी हाल में तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा। वैसे अब तक किसान और केंद्र के बीच हुई वार्ता में सरकार ने कुछ संशोधन प्रस्ताव दिए थे जिसपर किसानों ने असहमति जताई। उल्लेखनीय है कि आज सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई काफी अहम है क्योंकि इस बात पर निर्णय लिया जाएगा की दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन और प्रदर्शन इसी तरह जारी रहेगा या उन्हें कहीं और भेजा जाएगा।
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