AIMIM चीफ़ ओवैसी के यूपी दौरे पर सोशलएक्टिविस्ट शम्स जौनपुरी विश्लेषण जानकर दंग रह जाएंगे आप


AIMIM चीफ़ ओवैसी के यूपी दौरे पर सोशलएक्टिविस्ट शम्स जौनपुरी विश्लेषण जानकर दंग रह जाएंगे आप

जैनपुर । मुझे लगा था की असदुद्दीन ओवैसी के जौनपुर और आजमगढ़ के आगमन पर सबसे ज्यादा समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के लोगों को रास नहीं आएगा, मगर मैंने इससे विपरीत पाया.. हुआ कुछ उल्टा वह यह की असदुद्दीन ओवैसी के आने पर सबसे ज्यादा हलचल मची राष्ट्रीय उलमा काउंसिल के लोगों में, सोशल मीडिया से लेकर जमीनी स्तर तक हमलावर रहे उलमा काउंसिल वाले असदुद्दीन ओवैसी पर.. सोशल मीडिया पर जगह-जगह असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ बोलते और लिखते दिखे, वहीं जमीनी स्तर पर पहली बार भारी मात्रा में इन्हें जगह-जगह होर्डिंग और पोस्टर लगाते देखा गया यह बेचैनी और जलन क्यों..? मेरी समझ से परे है..


वैसे राष्ट्रीय उलमा काउंसिल के संस्थापक मौलाना आमिर रशादी को इस पर गौर करना चाहिए कि आखिर क्या वजह है की आजमगढ़ और जौनपुर की आवाम जो कभी उनके साथ थी, वह आज दूर प्रांत से आए असदुद्दीन ओवैसी के साथ हो गई.. और अपने ही इलाके की लोकल पार्टी पर भरोसा नहीं कर रही, इनका दामन छोड़ हैदराबाद के नेता का दामन पकड़ना पसंद कर रही है.. आखिर क्यों लोगों का विश्वास राष्ट्रीय उलमा काउंसिल से उठकर अब एमआईएम पर लोगों का विश्वास मजबूत होता जा रहा है..? इस पर उलमा काउंसिल वालों को जरूर विचार करना चाहिए..

बाकी असदुद्दीन ओवैसी के आने पर हर कोई यही बोल रहा है कि उत्तर प्रदेश में इनके आने से भाजपा को फायदा पहुंचेगा, मैं भी मानता हूं कि भाजपा को फायदा पहुंचेगा.. क्योंकि असदुद्दीन ओवैसी के बयान में कहीं ना कहीं कट्टरता जरूर रहती है जिसका फायदा भाजपा उठा ले जाती है, अपनी दलाल मीडिया के माध्यम से, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव से ही भाजपा उत्तर प्रदेश में मजबूत हो गई और आज उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी और मजबूत भाजपा है.. यह भी नहीं कि असदुद्दीन ओवैसी भाजपा के कमजोर क्षेत्र में आए, बल्कि एक मजबूत भाजपा शासित प्रदेश में कदम रखे हैं.. तो मेरी समझ में नहीं आ रहा कि असदुद्दीन ओवैसी कौन सा भाजपा को मजबूत करने आए हैं..?


और मैं उत्तर प्रदेश में असदुद्दीन ओवैसी के आगमन को एक तरीके से इसलिए सही मानता हूं, क्योंकि जिस तरह से सेक्युलर पार्टी जैसे कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने अपने मुस्लिम लीडरों को पिछले कुछ सालों से हाशिए पर रखा है, वह अब अपने मुस्लिम लीडरों को लेकर कहीं ना कहीं सक्रिय होते नजर आने शुरू हो जाएंगे की अगर मुस्लिमों को अब दरकिनार करेंगे तो यह ओवैसी के साथ चले जाएंगे..

बाकी हिंदुस्तान एक स्वतंत्र देश है, यहां हर कोई स्वतंत्र है वह कहीं भी जा सकता है, कहीं से भी चुनाव लड़ सकता है.. तो फिर हर किसी का स्वागत होना चाहिए मैं भी असदुद्दीन ओवैसी के आने का उनका स्वागत करता हूं..


यह मेरी अपनी एक छोटी सी प्रतिक्रिया है : Shams Jaunpuri  ✍️

Post a Comment

0 Comments