अखिल भारतीय काव्य मंच की गोष्ठी में खूब बही देशप्रेम की रसधारा

जौनपुर। अखिल भारतीय काव्य मंच द्वारा आयोजित काव्य गोष्ठी बैजनाथ आईटीआई कालेज कन्हईपुर में हुई जहां कवियों ने देशप्रेम से संबंधित रचनाएं पढ़कर लोगों को देशप्रेम से भाव-विभोर कर दिया। डा. संजय सिंह सागर की यह पंक्ति सीमा के प्रहरियों को सादर समर्पित रहीं- बांधकर सबसे पहले कफन सर पर हम, सबसे पहले मरे थे वतन के लिये। डा. नंद लाल समीर ने निम्न पंक्तियां पढ़कर लोगों में हिंदुस्तान की छवि को ऊंचा करने के साथ तिरंगे का मान बढ़ाने का प्रयास किया। सर कटाने को देशहित अरमान रखते हैं झुके कभी न तिरंगा इसका ध्यान रखते हैं। आजाद भगत बिस्मिल की संतानें हम, दिल की हर धड़कन में हिंदुस्तान रखते हैं। मशहूर शायर आशुतोष पाल ने सरहद की सीमा के रक्षकों के सम्मान में पंक्ति पढ़ी। सरहदों के पास जो इंसान है, मेरी नजरों में मेरा भगवान है। शायर मोनिस जौनपुरी की पंक्ति ने काफी तालियां बटोरी जो है मौकापरस्त मौके पर, बहती गंगा में हाथ धो लेगा। कवियत्री डा. सीमा सिंह की पंक्ति की लोगों ने मुक्त कंठ से सराहना किया। मैं स्वरा हूं मुझे मत बांधो, निशब्द की वेणी पर। मुझमें सरगम मुझमें गुंजन, मुझे वेद मंत्र बनकर बिखरने दो। कवि अमृत प्रकाश की ये कटाक्ष भरी पंक्ति काफी प्रेरणादायक रही। लखनऊ में मकान है तो क्या, यह जरूरी नहीं अदब भी हो। वरिष्ठ शायर आशिक जौनपुरी की पंक्ति को लोगों ने ताली बजाकर स्वागत किया। अगर ये पत्थर तराशे न जाते, तो बुत भी ये सुंदर कभी हम न पाते। डा. अंगद राही की पंक्ति बाल भ्रूण हत्या के प्रति इशारा करने के लिए काफी थी। मैं नन्हीं सी जान हूं मैं दुनिया से अनजान हूं। तू ममता की देवी तो मैं प्रकृति का वरदान हूं। गांव-गिराव की भाषा में जब राजेश पांडेय एडवोकेट ने काव्य पाठ किया तो लोगों ने भाव विभोर होकर सराहा। मेहरी के तन पे सोहै रेशमी चुनरिया। माई के मोहाल भई फटहीलुगरिया। कवियत्री कविता अंशुमान ने जब अपने कंठ से ‘ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी’ का गीत गाया तो सब लोग तारीफ करने से अपने को रोक नहीं पाये। साथ ही उनकी अगली पंक्ति भी काबिलेतारीफ रही। हर आहट गुमान होता है जैसे तुम हो। और तुम हो कि न जाने कहां गुम हो। कार्यक्रम के प्रारंभ में वरिष्ठ कवियत्री गीता श्रीवास्तव ने सरस्वती वंदना करते हुये एक गजल के माध्यम से सबका दिल जीत लिया। सितम तुम्हारा सितम नहीं है। नजर में यह मोहतरम नहीं है। हिंदी उर्दू के मशहूर शायर डा. पीसी विश्वकर्मा ‘प्रेम जौनपुरी’ ने जब यह पंक्ति पढ़ी तो लोग वाहकरते रह गये। बज्म  से तूने तो निकाल दिया। बेखुदी ने मुझे संभाल दिया। अपनी रुसवाईयों के सदके मैं, आसमां तक मुझे उछाल दिया। अखिल भारतीय काव्य मंच के अध्यक्ष एवं उस्ताद शायर असीम मछलीशहरी ने सामाजिक व्यवस्था पर तंज कसते हुए पंक्ति पढी। यही तो बात है वह दोस्तों में शामिल है, हमारी पीठ पर जो वार करना चाहता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ शायर इं. आरपी सोनकर ने अपनी उत्कृष्ट प्रस्तुति के माध्यम से सबका मन मोह लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता आरपी सोनकर ने किया जहां मुख्य अतिथि डा. पीसी विश्वकर्मा एवं विशिष्ट अतिथि फूलचंद भारती ने शोभा बढ़ाया। संस्थाध्यक्ष असीम मछलीशहरी ने सभी कवियों और शायरों को माल्यार्पण करके स्वागत किया। वहीं प्रबंधक विजय बहादुर सिंह को धन्यवाद दिया। सम्पूर्ण कार्यक्रम का संचालन संस्थापक डा. प्रमोद वाचस्पति सलिल जौनपुरी’ ने किया।

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