बंसराज मेमोरियल सनराइज पब्लिक स्कूल के प्रांगण में युवा दिवस के रूप में मनाई गई स्वामी विवेकानंद की जयंती।

बंसराज मेमोरियल सनराइज पब्लिक स्कूल के प्रांगण में युवा दिवस के रूप में मनाई गई स्वामी विवेकानंद की जयंती।

जौनपुर। आज बंसराज मेमोरियल सनराइज पब्लिक स्कूल में स्वामी विवेकानंद की जयंती युवा दिवस के रूप में मनाई गई जिसमें विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री बृजेश कुमार पाठक ने स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण कर और मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर सरस्वती वंदना के माध्यम से कार्यक्रम को प्रारंभ किया। जिसमें बच्चों ने संगोष्ठी के माध्यम से स्वामी विवेकानंद के विषय में अपने विचार को रखा, कार्यक्रम का संचालन कमलेश चंद डालाकोटी के द्वारा किया गया ।स्वामी विवेकानंद के जीवन पर प्रकाश डालते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री बृजेश कुमार पाठक ने कहा कि स्वामी विवेकानंद आज के नौजवानों के लिए एक पथ प्रदर्शक है स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी अट्ठारह सौ 63 को हुआ था उनके पिताजी का नाम श्री विश्वनाथ दत्त था। हमारे देश में सन 1984 युवा दिवस की घोषणा कर दी गई थी लेकिन भारत सरकार ने 1985 से स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस को युवा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया। श्री पाठक ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें स्वामी विवेकानंद के जीवन से मुख्य रूप से चार प्रमुख शिक्षाएं ग्रहण करनी चाहिए। सबसे पहली शिक्षा कि हम हमें दूसरों के विषय में सोचना चाहिए दूसरों के सुख दुख को अपना सुख दुख समझना चाहिए।दूसरी महत्वपूर्ण शिक्षा हम अपनी सभ्यता और संस्कृति का सम्मान करें साथ ही हम दूसरों की सभ्यता और संस्कृति का भी सम्मान करें ,तीसरी महत्वपूर्ण शिक्षा या कि व्यक्ति अपने कपड़ों से नहीं अपने चरित्र से जाना जाता है उन्होंने बताया कि जिस समय वे शिकागो में गए उस समय उनसे एक महिला ने पूछा कि आप तो कोट पेंट तो नहीं पहने हैं तो आप जेंटलमैन कैसे हो सकते हैं उनकी इस बात को सुनकर स्वामी विवेकानंद ने बहुत सुंदर और सटीक जवाब दिया उन्होंने कहा इन योर कल्चर योर ड्रेस मैक्स ए जेंटलमैन बट आवर कल्चर  करैक्टर मेक्स जेंटलमैन अर्थात तुम्हारे देश में कपड़े से व्यक्ति की पहचान होती है लेकिन मैं उस देश का रहने वाला हूं जहां पर व्यक्ति के चरित्र से व्यक्ति के व्यक्तित्व से उसकी पहचान होती है और सबसे महत्वपूर्ण बात चरित्रवान होना चाहिए। एक सुंदर सी घटना या है जब उनके संभाषण से प्रभावित होकर एक महिला ने उनके समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा और कहां मुझे आप जैसे पुत्र की आवश्यकता है इस पर स्वामी विवेकानंद ने कहा कि आप मुझे ही पुत्र के रूप में स्वीकार कर लीजिए। और आप मेरी मां बन जाइए इससे स्वामी विवेकानंद के उच्च चरित्र का पता चलता है।भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदांत (वेदान्त) दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण ही पहुँचा। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। उन्हें 2 मिनट का समय दिया गया था लेकिन उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण की शुरुआत "मेरे अमेरिकी बहनों एवं भाइयों" के साथ करने के लिये जाना जाता है। उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था। स्वामी विवेकानंद का कहना था किहमें जो करना है। जो कुछ भी बनना है। हम उस पर ध्यान नहीं देते है , और दूसरों को देखकर वैसा ही हम करने लगते है। जिसके कारण हम अपने सफलता के मंज़िल के पास होते हुए दूर भटक जाते है। इसीलिए अगर जीवन में सफल होना है ! तो हमेशा हमें अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए , हमारे अंदर एकाग्रता होनी चाहिए।प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में उन्होंने वर्तमान भारत को दृढ़ रूप से प्रभावित किया है। भारत की युवा पीढ़ी स्वामी विवेकानन्द से निःसृत होने वाले ज्ञान, प्रेरणा एवं तेज के स्रोत से लाभ उठाएगी। 39 वर्ष की अल्पायु में स्वामी विवेकानंद ने पूरे विश्व को आश्चर्यचकित कर दिया और यह सिद्ध कर दिया कि व्यक्ति के लिए उम्र महत्वपूर्ण नहीं रखती महत्वपूर्ण यह होता है कि वह व्यक्ति उस उम्र को किस प्रकार से जीता है। कमलेश चंद डालाकोटी ने स्वामी विवेकानंद के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि व्यक्ति के जीवन में सतत ऊर्जा का होना बहुत आवश्यक है जो व्यक्ति के लिए विश्व विकास का मार्ग प्रशस्त करता है। विद्यालय के सभी शिक्षकों ने स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया और युवा दिवस पर संकल्प और बच्चों को नई दशा और दिशा के लिए प्रेरित किया। विद्यालय के डायरेक्टर श्रीमती जागृति चित्रवंशी, मैनेजर श्रीमती प्रियंका चित्रवंशी ने सभी को स्वामी विवेकानंद की जयंती अर्थात युवा दिवस पर बधाई देते हुए हमेशा जीवन में आगे बढ़ने का संदेश दिया और उनके संदेशों को अपने जीवन में उतारने की बात कही ।अंत में कार्यक्रम का समापन प्रधानाचार्य श्री बृजेश कुमार पाठक जी के के द्वारा सभी को धन्यवाद देते हुए धन्यवाद ज्ञापन के द्वारा किया गया।


Post a Comment

0 Comments