पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद को साहित्यकारों ने दी श्रद्धांजलि

जौनपुर। जज कालोनी में सरजू प्रसाद शैक्षिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था के बैनर तले श्रद्धांजलि सभा हुई जहां अध्यक्षता करते हुए सभाजीत द्विवेदी  ने कहा कि माता प्रसाद हमारे जनपद के गौरव थे। कुशल नेता होने के साथ दलित साहित्य पर उनका एकाधिकार था। राजनीति के साथ साहित्य जगत में भी उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। साहित्यकार गिरीश श्रीवास्तव गिरीश ने कहा कि इतने ऊंचे पदों पर होने के बावजूद वह सहजता, सरलता, कर्मठता और त्याग के प्रतिमूर्ति थे। मछलीशहर की मिट्टी से लेकर देश के शीर्ष पदों तक रहे श्री प्रसाद के योगदान का जनपद सदैव ऋणी रहेगा। वरिष्ठ अधिवक्ता आदित्य प्रसाद उपाध्याय ने कहा कि पूरा जीवन उतार-चढ़ाव के बावजूद भी राजनीति व समाजसेवा में उन्होंने कभी अपनी हार नहीं मानी। फूलचंद भारती ने कहा कि जनपद के साहित्यिक व सांस्कृतिक विरासत के लिए वह सदैव चिंतित रहते थे। अखिलेश चंद्र पांडेय ने कहा कि वह स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को ढूढ़कर मिलते थे। डा. दिलीप सिंह ने कहा कि वह हम सबके लिए एक पदचिन्ह छोड़ कर गए हैं। कार्यक्रम के आयोजक संजय उपाध्याय पूर्व अध्यक्ष बाल न्यायालय  ने कहा कि वह गरीबों, कमजोरों, मजलूमों व मुफसियों के मसीहा थे। इस अवसर पर मनोज श्रीवास्तव, जितेंद्र प्रसाद उपाध्याय, इंद्रजीत उपाध्याय, नन्द किशोर पटेल, आनन्द पटेल, दिनेश मौर्य, लक्ष्मी नारायण यादव, सोमनाथ यादव आदि उपस्थित रहे।

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