सीवेज ट्रीटमेंट प्लाण्ट व अमृत योजना के सीवर लाइन कार्य में गड़बड़ी!

जौनपुर। स्वच्छ गोमती अभियान ने जौनपुर में नमामि गंगे योजना तहत 206 करोड़ रूपये की लागत से बन रहे सीवेज ट्रीटमेंट प्लाण्ट व अमृत योजना तहत 264 करोड़ की लागत से हो रहे सीवर लाइन कार्य में व्याप्त गम्भीर गड़बड़ी व भ्रष्टाचार के मामले पर देश के प्रधानमंत्री एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा। अभियान के अगुवा गौतम गुप्ता के अनुसार जौनपुर में अमृत योजना तहत हो रहे रहे सीवर लाइन कार्य में व्याप्त गम्भीर गड़बड़ी, अनियमितता व भ्रष्टाचार है। जल निगम के उच्चाधिकारियों, कार्यदायी फर्म टेक्नोक्राफ्ट व प्रभावशाली लोगों द्वारा साठ-गांठ करके पहली ही रनिंग बिल के 4 करोड़ रूपये के भुगतान में लगभग 75 लाख  रुपये बैरिकेटिंग व टिम्बरिंग के नाम पर ले लिये गये जबकि मौके पर न बैरिकेटिंग थी और न ही टिम्बरिंग। साथ ही वर्तमान अमृत योजना के डीपीआर में गोमती के दक्षिणी छोर (ट्रांस गोमती) में सीवर लाइन कार्य के समूचे कार्य के दौरान केवल 850 मीटर बैरिकेटिंग ही अनुमन्य थी जबकि पहली ही बिल में मात्र 15 किमी के कार्य में 10 हजार मीटर बैरिकेटिंग का भुगतान हो गया। श्री गुप्ता के अनुसार जौनपुर में नमामि गंगे योजना से बन रहे 30 एमएलडी के बेहद कम क्षमता के एसटीपी निर्माण के सम्बंध में यह बताया गया कि जौनपुर शहरी क्षेत्र में वर्तमान में ही कुल जलापूर्ति लगभग 90 एमएलडी की है और समूचे देश में एसटीपी निर्माण की गाइड लाइन निर्गत करने वाली केंद्र सरकार की संस्था सीपीएचईईओ का स्पष्ट निर्देश है कि किसी भी क्षेते की कुल जलापूर्ति का 80 प्रतिशत सीवेज मानकर ही किसी भी एसटीपी की क्षमता का आंकलन किया जाएगा। ऐसे में जौनपुर नगरीय क्षेत्र में आज का ही सीवेज डिस्चार्ज 90 एमएलडी का 80 प्रतिशत मतलब 72 एमएलडी होगा। ऐसे में किस प्रकार आने वाली 30 वर्षीय/15 वर्षीय योजना के लिए 30 एमएलडी का एसटीपी पर्याप्त होगा। यह समझ के बाहर है जबकि यह आज की आवश्यकताओं पर ही खरा नहीं है। ऐसे में सम्पूर्ण कार्य को निरस्त कराकर पुनः सही तरीके से एसटीपी क्षमता का आंकलन कर एसटीपी निर्माण किया जाय। जौनपुर में नमामि गंगे योजना तहत 206 करोड़ लागत से बन रहे एसटीपी कार्य का बेस वर्ष 2020 था। चूंकि कोरोना महामारी के दौरान कुछ समस्याएं आयीं। ऐसे में कुछ देर तो काम में ठीक थी किन्तु जिस कार्य को वर्ष 2020 में सम्पन्न हो जाना था, उस प्रोजेक्ट में अब तक केवल 18-20 प्रतिशत कार्य ही सम्पन्न हुआ है। ऐसे में अब तक विभाग द्वारा कार्यदायी फर्म एसपीएमएल व पुलकित प्रोजेक्ट पर न कोई दण्डात्मक कार्यवाही हुई और न ही कोई पेनाल्टी लगाई गयी जो बेहद सन्देहास्पद व जांच का विषय है। अन्त में श्री गुप्ता ने कहा कि किन प्रभावशाली लोगों की शह पर इन लोगों पर कार्यवाही नहीं हो रही है, यह भी जांच का विषय है।

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