...तो अब पवित्र 'गोबर लट्ठ' से होगा शवों का अंतिम संस्कार


...तो अब पवित्र 'गोबर लट्ठ' से होगा शवों का अंतिम संस्कार


अज़हर अब्बास

सुलतानपुर


'गाय के मल को गोबर' के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में इसका खासा महत्व है। पुराणों में पवित्रता के लिहाज से इसे परम शुद्ध माना गया है। पूजा-पाठ से लेकर मनुष्य को मुखाग्नि देने तक इसका हिंदू धर्म में प्रचलन है। लेकिन बदलती दुनिया के परिवेश में अब गोबर के कंडे ने भी आकार बदल दिया है। अबतक हाथ से तैयार किए गए उपले से शवों को मुखाग्नि दी जाती थी, लेकिन अब नई पद्धति के आधार पर गोबर से तैयार हो रहे लठ से ऐसा किया जाएगा।

दरअस्ल सीएम योगी की गौ-संरक्षण योजना को स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने रोजगार से जोड़ दिया है। विकास विभाग के सहयोग से ऐसी मशीन तैयार की गयी है जो गोबर, कोयला और धान की डंठल के कतरन से लकड़ी के लट्ठ तैयार करेगी। इसका बाजार में अलाव और तंदूर में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होगा। शव के अंतिम संस्कार में परम पवित्र गोबर की लकड़ी भी इस्तेमाल की जायेगी। आधिकारिक तौर पर बताया गया है कि, इसमें विषाणु और जीवाणुओं को नष्ट करने की क्षमता तक दर्शायी गई है। 


प्रधान पति हलियापुर अखंड प्रताप सिंह उर्फ गब्बर सिंह ने बताया कि स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की ओर से गोबर की लकड़ी तैयार की जाती है। मशीन में गोबर कोयला और पैरा के संयुक्त मिश्रण से लट्ठ बनाया जाता है। इससे महिलाओं को रोजगार मिला हुआ है। उन्होंने बताया हमारे यहां 7 सौ से अधिक गौशाला में गायें हैं। इनके गोबर का इस्तेमाल किया जा रहा है। सुल्तानपुर-अयोध्या जिले की सीमा पर स्थित हलियापुर ग्राम पंचायत की इस गौशाला में अब तक केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी समेत कई राज्यमंत्री आ चुके हैं। इस गौशाला की वे तारीफ भी कर चुके हैं। इनसे प्रेरित होकर महिलाओं ने रोजगार का ये रास्ता अख्तियार किया है। 

सीडीओ अतुल वत्स ने बताया कि हलियापुर गौशाला में संत रविदास स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की ये पहल है। यहां करीब साढ़े 7 सौ गाय पंजीकृत रूप से रखी गई हैं।

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