पैगम्बर मोहम्मद की बेटी के दरवाज़े पर आग लगाने वाले भी थे मुसलमान-मौलाना काजिम मेहंदी उरूज

पैगम्बर मोहम्मद की बेटी के दरवाज़े पर आग लगाने वाले भी थे मुसलमान-मौलाना काजिम मेहंदी उरूज


अज़हर अब्बास

सुलतानपुर


मुसलमानो के आख़री नबी हज़रत पैगम्बर मोहम्मद मुस्तफा स.अ.व की इकलौती बेटी जनाबे फ़ातिमा ज़हरा स.अ की शहादत कि याद मे अय्यामे फातमी की मजलिस का आयोजन किया गया जिसमे जौनपुर से आए मौलाना काजिम मेहंदी उरूज ने मजलिस को ख़िताब किया।
मजलिस को ख़िताब करते हुऐ मौलाना काजिम मेहंदी उरूज ने कहा कि जनाबे फ़ातिमा ज़हरा की ज़ात वो ज़ात है़ कि जिसकी ताजिम के लिये पैगम्बर अपनी जगह छोड़ खड़े हो कर उनका इस्तेकबाल करते थे,उनका इस्तेकबाल पैगम्बर इसलिए नही करते थे कि वह उनकी बेटी थी बल्कि उनका यह सरफ़ था कि जिनको अल्लाह ने अल कौसर के लक़ब से नवाज़ा था, मौलाना ने आगे बयान करते हुऐ कहा कि मुसलमानो को नबी की सारी सून्नते याद है जैसे सुर्मे की सुन्नत याद, जुल्फों की सुन्नत याद,दाढ़ी की सुन्नत याद, मिस्वाक की सुन्नत याद मगर अफसोस कि नबी की बेटी की तांजीम कि सुन्नत भूल गए।

मौलाना ने आगे कहा कि, अल्लाह ने पैगम्बर को कई बेटे दिए लेकिन उसे उठा लिया, जिसके बाद कुफ्फारे मक्का नबी को अबतर (बे औलाद) कहना शुरू कर दिया। इस बात से पैगम्बर को काफी रंज (दुःख) पहुंचा लेकिन खुलके अज़ीम पर फायज़ नबी ने उफ (चुप्पी) तक नहीं किया। इस पर अल्लाह ने अपने नबी के पास सूरए कौसर लेकर फरिश्ता जिब्रील को भेजा कि जाकर मेरे नबी से कहो कि अल्लाह ने आपको सब कुछ अता किया, आपकी नस्ल चलने वाली है और आपके दुश्मन की नस्ल खत्म हो जाएगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे अबुजेहल, अबुलहब, अतबा, शैबा ये सब कुफ्फार की आज तक नस्ल मौजूद नहीं है। 

इस मौके पर हाजी मुजाहिद अकबर, हाजी शमीम हैदर, डा नय्यर रज़ा जैदी,अज़ादार हुसैन, जाहिद आब्दी,आलम,आरिफ, नगमी, शैबी आदि लोग मौजूद रहे जबकि मजलिस मे पेशखानी जनाब अमन सुलतानपुरी, जनाब मुनव्वर सुलतानपुरी, ने की मजलिस का संचालन नज़र नकी ने की।

Post a Comment

0 Comments