बेमिसाल है कृष्ण-सुदामा की मित्रताः राम आश्रय

डोभी, जौनपुर। हरिहरपुर स्थित बाबा बेलनाथ मन्दिर में श्रीमद्भागवत सप्ताह दिवस पर भागवत कथा के मर्मज्ञ राम आश्रय शुक्ल ने कृष्ण-सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनाकर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। साथ ही कहा कि भारतीय संस्कृति मे कृष्ण-सुदामा की मित्रता बेमिसाल है। एक तरफ दीन-हीन याचक ब्राम्हण सुदामा और दूसरी तरफ तीनों लोक के स्वामी द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण हैं। ऐसे में श्रीकृष्ण मानवता की पराकाष्ठा को आत्मसात करते हुये जिस तरह सुदामा को अपनाते और महत्व देते हैं, वह लोक जीवन में अनुकरणीय है। उन्होने यह भी कहा कि उस मित्रता के वृतांत को सुनकर लोग द्रवित अवश्य होते हैं किन्तु उसे अपना पाना कठिन है। इसके मूल में कारण यह है कि श्रीकृष्ण जैसा त्रिलोक का स्वामी अब तक  दूसरा नहीं हुआ। दूसरी ओर सुदामा जैसे याचक पृथ्वी पर बहुताय हैं। कथा के प्रसंग को आगे बढ़ाते हुये श्री शुक्ल ने कहा कि प्रेम और श्रद्धा भी द्वारिकाधीश की अपूर्व रही है। उन्होंने बताया कि करुणानिधि एकाएक अपने दरबार में सुदामा की दीन दशा को देखकर जिस प्रकार बेहाल होकर रोये हैं, उसे देखकर रुक्मिणी आश्चर्यचकित रह जाती हैं। कथा मंच का संचालन खरिहानी और आजमगढ़ से पधारे मानस कोकिल गोकुलेष मिश्रा ने संयुक्त रूप से किया। कथा के आयोजन में रमेश दूबे, अनिल पाण्डेय, अशोक पाण्डेय, वारीन्द्र पाण्डेय, शिवबालक यादव, अमरनाथ यादव, रामसूरत यादव, विजय पाण्डेय, बेचन दूबे, राजेंद्र सिंह, बबलू सिंह, अशोक सिंह, आनंद श्रीवास्तव आदि का विशेष सहयोग रहा।

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