राज कालेज चौकी प्रभारी ने सट्टेबाज को दे दी क्लीन चिट

जौनपुर। पुलिस के संरक्षण में सट्टा बाजार का स्याह कारोबार दिन दूना रात चौगुना की तर्ज पर खूल फल-फूल रहा है। इसे हम नहीं, बल्कि पुलिस स्वयं स्वीकार रही है। जौनपुर पुलिस सट्टेबाजी के काले कारोबार में लिप्त लोगों को पकड़ने के बजाय क्लीन चिट देकर अपनी सट्टेबाजों के प्रति अपनी कर्तव्यनिष्ठा का परिचय भी दे रही है। सूत्रों के अनुसार शहर कोतवाली अंतर्गत राज कालेज (टिकुली टोला) चौकी प्रभारी चंदन राय ने अशफाक नामक एक बड़े सट्टेबाज को दबोचा लेकिन चर्चा है कि कुछ ही देर में लंबी डील करके मामले को रफा-दफा कर दिया गया। इस बारे में जब चौकी प्रभारी चंदन राय के मोबाइल नंबर से जानकारी मांगी गयी तो पहले उन्होंने किसी सट्टेबाज के पकड़े जाने की खबर से अनभिज्ञता जताई लेकिन जब सट्टेबाज का नाम लेकर कार्रवाई के बाबत पूछा गया तो उन्होंने लम्बी सांस लेकर बड़े इत्मिनान से कहा कि हां, लोगों की शिकायत पर एक सट्टेबाज को पकड़ा गया था लेकिन उसके द्वारा अपने आपको निर्दोष बताए जाने पर उसे छोड़ दिया गया। इतना ही नहीं, चौकी इंचार्ज ने सट्टेबाज को क्लीन चिट देते हुए कहा कि उसने बताया कि एक-डेढ़ साल पहले वह सट्टेबाजी का काम करता था लेकिन अब नहीं कर रहा है। इस बाबत जब चौकी इंचार्ज से सवाल पूछा गया कि क्या ‘कोई चोर अपने को चोर कहेगा’ तो उन्होंने कहा कि हां इस बात की जांच कर ली गई है। जांच में पता चला कि वह इधर 1 साल से सट्टेबाजी का काम नहीं कर रहा है। बताते चलें कि पुलिस के संरक्षण में फल-फूल रहे इस सट्टेबाजी के धंधे के चलते कई घरों का चिराग बुझ गया है। सट्टेबाजी के दलदल में फंसे की लोगों ने आत्महत्या कर ली। वहीं कुछ लोगों को अपना मकान और दुकान तक बेचना पड़ा। कुछ लोग सट्टेबाजों के कर्ज से दबे होने के कारण भागे-भागे फिर रहे हैं। सट्टेबाजी केे खेल में जौनपुर में सैकड़ों की संख्या में व्यापारी और किसान बर्बाद हो चुके हैं। सट्टेबाजों के चंगुल में फंसे कई लोगों ने अपनी जमीनें औने-पौने दाम में बेच दिया है। धर्मापुर क्षेत्र के एक किसान ने अपनी करोड़ों की जमीन बेच दी तो ओलंदगंज क्षेत्र के एक बड़े व्यवसायी के पुत्र ने लगभग 90 लाख में अपनी दुकान बेच दी। इतना ही नहीं, शहर के हनुमान घाट के कई व्यापारी सट्टेबाजों के करोड़ों रुपए के कर्जदार होने के कारण भागे-भागे फिर रहे हैं। पुलिस से शिकायत करने पर उल्टे पीड़ित को ही प्रताड़ित किया जाता है और कभी-कभी पीड़ित व्यक्ति को ही सट्टेबाजी के मामले में जेल भेजकर पुलिस अपनी पीठ थपथपा लेती है।

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