राज कॉलेज चौकी इंचार्ज ने सट्टेबाज को पकड़ कर छोड़ा

 जौनपुर। पुलिस के संरक्षण में सट्टेबाजी का खेल धड़ल्ले से चल रहा है, इसे हम नहीं बल्कि पुलिस खुद स्वीकार रही है | इतना ही नहीं पुलिस सट्टेबाजी के धंधे में लिप्त  लोगों को  पकड़ने के बजाय क्लीन चिट  देने में जुट गई है | एक दिन पूर्व जौनपुर कोतवाली अंतर्गत राज कॉलेज (टिकुरी टोला) चौकी इंचार्ज  चंदन राय ने जौनपुर के  अशफाक नामक एक बड़े सट्टेबाज को धर दबोचा लेकिन सूत्र बताते हैं कि कुछ ही देर में लंबी डील करके मामले को रफा-दफा कर दिया गया |
        इस बारे में जब चौकी इंचार्ज चंदन राय के मोबाइल नंबर 8299510347 पर फोन करके सट्टेबाज अशफाक के खिलाफ कार्रवाई की जानकारी मांगी गई। पहले तो उन्होंने  किसी सट्टेबाज के पकड़े जाने की खबर से अनभिज्ञता जताई लेकिन जब सट्टेबाज का नाम लेकर  कार्रवाई  के बाबत पूछा गया तो उन्होंने कहा हां लोगों की शिकायत पर सट्टेबाज अशफाक को पकड़ा गया था लेकिन सट्टेबाज द्वारा अपने आप को निर्दोष बताए जाने पर उसे छोड़ दिया गया।
    इतना ही नहीं चौकी इंचार्ज ने सट्टेबाज अशफाक को क्लीन चिट देते हुए कहा कि सट्टेबाज अशफाक ने बताया कि एक डेढ़ साल पहले वह सट्टेबाजी का काम करता था लेकिन अब नहीं कर रहा है। इस बाबत जब चौकी इंचार्ज से सवाल पूछा गया कि  क्या "कोई चोर अपने  को चोर कहेगा" तो उन्होंने कहा कि हां  इस बात की  जांच कर ली गई है और जांच में पता चला कि वह  इधर 1 साल से  कोई सट्टेबाजी का काम नहीं कर रहा है। पुलिस के संरक्षण में फल फूल रहे सट्टेबाजी के धंधे के चलते कई लोगों को आत्महत्या करनी पड़ी तो वहीं कुछ लोगों ने अपने मकान और दुकान बेच डाला | वहीं कुछ लोग सट्टेबाजों के कर्ज से दबे होने के कारण भागे भागे फिर रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक सट्टेबाजी केे खेल में जौनपुर में सैकड़ों की संख्या में व्यापारी और किसान बर्बाद हो चुके हैं।  सट्टेबाजों के चंगुल में फंसे कई लोगों ने अपनी जमीने बेच दी हैं तो कई ने अपने मकान,दुकान, सट्टेबाजी के करोड़ों रुपए के बकाए के चलते जौनपुर के धर्मापुर क्षेत्र के एक किसान ने अपनी करोड़ों की जमीन बेच दी, वहीं ओलंदगंज क्षेत्र के एक बड़े व्यवसाई के पुत्र ने लगभग 90 लाख में अपनी दुकान बेच दी, इतना ही नहीं जौनपुर शहर के हनुमान घाट के कई व्यापारी सट्टेबाजों के करोड़ों रुपए के कर्जदार होने के कारण भागे भागे फिर रहे हैं।  पुलिस से शिकायत करने पर उल्टे पीड़ित को ही प्रताड़ित किया जाता है, और कभी-कभी पीड़ित व्यक्ति को  ही सट्टेबाजी के मामले में जेल भेज  कर पुलिस अपनी पीठ थपथपा लेतीे है।

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