हमारे चारों तरफ विज्ञान, केवल ध्यान देने की जरूरतः प्रो. मेवा सिंह

जौनपुर। नेहरू बालोद्यान सीनियर सेकेण्डरी स्कूल में आयोजित पांच दिवसीय मोटिवेशनल साइंस कैम्प के दूसरे दिन बतौर मुख्य वक्ता भारत के प्रसिद्ध वाइल्ड लाइफ साईन्टिस्ट प्रो. मेवा सिंह ने बच्चों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमने 45 वर्ष जंगल में गुजारा है। हमने देखा है कि विदेशी जानवरों के प्रचार और प्रसार के लिए विज्ञान में बहुत काम करने की आवश्यकता है। हमारे चारों तरफ बहुत विविधता है हम अपने अगल बगल के पशु पक्षियों पर ध्यान दें तो बहुत कुछ चीज सीख सकते हैं। प्रो. मेवा सिंह ने कहा कि मौसम के बदलाव के कारण पक्षियां स्थानांतरित होते रहते हैं। जैसे सेलेण्डर लोरेस बन्दर जो केवल रात में ही देखता है उसे दिन में दिखायी नहीं देता। ये दक्षिण भारत में कहीं-कहीं दिखायी देते हैं। विज्ञान को जानने के लिये केवल बार-बार ध्यान की जरूरत होती है। प्रकृति का एक सिस्टम है और प्रकृति सिस्टम से ही चलती है। बन्दर और हाथी पर मैंने बहुत शोध किया है। मैदानी भाग में तेज दौड़ने वाले जानवर पाये जाते हैं किन्तु छिपने वाले जानवर घने जंगल में ही मिलते हैं। हमने देखा है कि जंगलों में रहने वाले जानवर मनुष्य के साथ घुल मिलकर रहते हैं जब तक उनको छेड़ा न जाय व नुकसान नहीं पहुंचाते। कार्यक्रम के दूसरे दिन के वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि प्रकृति में जो कुछ भी है सबका कुछ न कुछ मतलब है बेमतलब कुछ नहीं है। बच्चों से उन्होंने प्रश्न किया क्या आपको पता है कि पेड़ की पत्तियां हरी होती है लेकिन फूल रंगीन क्यों होते हैं। सबका कुछ न कुछ मतलब है सबकी जरूरत है ये सब प्रकृति का सुनियोजित सिस्टम है। उन्होंने बताया कि पत्तियॉ हरी इसलिए होती है जिससे वे क्लोरोफिल के माध्यम से अपना भोजन बना सके लेकिन फूल रंगीन इसलिए होते हैं कि कीट पतंगों को वे अपनी तरफ आकृष्ट कर सके और उनकी बंस बंसावली चल सके। कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के डा. विनोद कुमार दूबे, संजय भारद्वाज, डा. बीपी सिंह, डा. सुदेश सिंह आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम समन्वयक डा. सीडी सिंह ने सभी वक्ताओं को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन अरविन्द सिंह ने किया। कार्यक्रम में 9 विभिन्न विद्यालयों के 80 छात्र-छात्राएं प्रतिभाग कर रहे हैं।

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