एल-3 व एल-2 अस्पतालों में बेड फुल,भर्ती के ल‍िए भटक रहे मरीज

एल-3 व एल-2 अस्पतालों में बेड फुल,भर्ती के ल‍िए भटक रहे मरीज

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही मरीजों की मुश्किलों को आसान करने की कोशिश कर रहे हों, मगर उनके मातहत अधिकारियों ने अस्पतालों में भर्ती व इलाज की व्यवस्था को पूरी तरह चौपट कर रखा है। हालत यह है कि स्वास्थ्य महानिदेशक से लेकर सीएमओ, एसीएमओ व मरीजों की भर्ती के लिए लगाए गए अन्य अधिकारी न तो फोन का रेस्पांस दे रहे हैं और न ही मैसेज का। ऐसे में गंभीर मरीजों की हालत बिगड़ती जा रही है। किसी भी अस्पताल में यदि मरीज स्वयं भर्ती होने के लिए बेड तलाश भी रहा है तो सीएमओ की अनुमति पाना उसके लिए असंभव साबित हो रहा है। कोई भी अधिकारी ऐसे मरीजों को भर्ती होने के लिए अनुमति पत्र तक तैयार नहीं कर रहा है। इससे वह भर्ती नहीं हो पा रहे हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि एल-2 व एल-3 में बेड लगभग फुल हैं। इस वजह से मरीजों की भर्ती मुश्किल हो रही है।

शुक्रवार को भी बहुत से मरीज भर्ती के लिए कंट्रोल रूम से लेकर सीएमओ व अन्य अधिकारियों को फोन करते रहे। मगर उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। हकीकत जानने के लिए जागरण संवाददाता ने भी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संजय भटनागर को अलग-अलग समय पर दिन में तीन बार फोन किया, लेकिन एक बार फोन नहीं उठा। दो बार नंबर बंद पाया गया। इसके बाद एसीएमओ डा. रवि पांडेय को भी एक दो घंटे के अंतराल पर तीन से चार बार फोन किया गया। मगर कोई जवाब नहीं मिला। एलडीए के सचिव पवन गंगवार को भी कई बार फोन किया। सिर्फ एक बार उनके सहायक ने उठाकर कहा कि साहब मीटिंग में हैं। इसके बाद कई घंटे के अंतराल पर दो-दो बार स्वास्थ्य महानिदेशक डा. डीएस नेगी व स्वास्थ्य मंत्री जयप्रताप सिंह को फोन किया गया। मगर किसी ने कोई जवाब नहीं दिया।

एलडीए की अधिकारी ऋतु सुहास को फोन किया तो उन्होंने मरीज का ब्यौरा मांगा। जिन अधिकारियों ने फोन नहीं उठाया, उन्हें मरीजों की समस्या ब्यौरे के साथ ह्वाट्स भी किया गया। मगर किसी ने जवाब नहीं दिया। एसीएमओ डा. एके श्रीवास्तव ने दिन में दो बार फोन करने व ह्वाट्सएप करने पर एक बार फोन उठाया। उन्होंने तब बताया कि मरीज इसलिए भर्ती नहीं हो पा रहे कि केजीएमयू, लोहिया, पीजीआइ, एरा, इंटिग्रल जैसे कोई भी एल-3 व एल-2 लेवल के अस्पताल बेड खाली नहीं होने की बात कर रहे। इससे मरीजों को भर्ती कराने में मुश्किल आ रही है।

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