फिल्में होती हैं समाज का आईनाः अम्बिकावाणी

जौनपुर। कम समय में ही आधा दर्जन हिन्दी फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाने वाली अम्बिकावाणी का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। प्रतापगढ़ में चल रही हिन्दी फिल्म बाबुल की शूटिंग पूरी कर अम्बिकावाणी जौनपुर में पुलिस विभाग में कार्यरत अपनी बहन अर्चना सिंह के यहां पहुंची और बातचीत के दौरान फिल्मी कैरियर को लेकर सवालों का बड़ी ही ईमादारी और साफगोई से जबाब दिया। मूल रुप से रायबरेली की निवासी परास्नातक तक की शिक्षा प्राप्त अम्बिकावाणी ने 2017 में फिल्मी दुनिया में किस्मत आजमाने मुम्बई पहुंची तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। बचपन से ही फिल्मों में काम करने का शौक रहा परिवार का साथ मिला तो मुम्बई पहुंचकर हुनर को तराशने का काम किया और मंदबुद्धि, जर्नी द वीकण्ड नाईट, मैथिली, बाबुल जैसी फिल्मों के साथ ही डीडी किसान चौनल पर प्रसारित नई सोच सीरियल को दर्शकों ने खूब पसंद किया। द थर्ड रुम मेट बेब सीरीज पूरी हो चुकी है जो जल्द ही दर्शकों के बीच होगी। भोजपुरी फिल्मों में काम करने के सवाल पर कहा कि फिल्में तो समाज का आईना होती हैं। कहानी अच्छी हो तो भोजपुरी फिल्मों में काम करने में कोई परहेज नहीं है। भोजपुरी फिल्मों के द्विअर्थी गानों और अश्लील सीन के सवाल पर जबाब देते हुए कहा कि कुछ लोगों की वजह से पूरी इण्डस्ट्री को जज नहीं किया जा सकता है। भोजपुरी इण्डस्ट्री ने काफी अच्छी अच्छी फिल्में दी हैं। अम्बिकावाणी ने बताया कि माधुरी दीक्षित, आलिया भट्ट, पंकज त्रिपाठी उनके आदर्श हैं। मेरे मन में जौनपुर के बारे में फिल्म में देखकर यहां के लोगों के बारे में दबंग, बाहुबली, माफिया, अपराधी के साथ ही नकारात्मक छवि थी लेकिन यहां आने पर लगा कि वह हमारा भ्रम था। शक्तिपीठ मां शीतला चौकियां की महिमा के बारे में बहुत सुना था। मां का दर्शन पूजन कर लोक कल्याण के लिए प्रार्थना किया।

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