रहमतों व बरकतों का महीना है रमजानः इमरान खान

मछलीशहर, जौनपुर। मछलीशहर सीरत कमेटी के सरपरस्त इमरान ने बताया कि रमजान महीने के पहले दस दिन रहमत के होते हैं। यानी सच्चे मन से अल्लाह की इबादत करने वालों पर अल्लाह की रहमत होती है। रमजान के पहले अशरे में मुसलमानों को ज्यादा से ज्यादा खैरात करके गरीबों की मदद करनी चाहिए। हर एक इंसान से प्यार और नरमी का व्यवहार करना चाहिए। यूं तो रमजान का पूरा महीना मोमिनों के लिए खुदा की तरफ से अजमत और रहमत व बरकतों से लबरेज है लेकिन अल्लाह ने इस मुबारक महीने को की नजरों में तक्सीम किया है। पहला अशरा खुदा की रहमत वाला है। 11 में रमजान से दूसरा अशरा शुरू होगा। रमजान का पहला अशरा बेशुमार रहमत वाला है। नेक काम के सबाब में 70 गुना इजाफा कर दिया जाता है। रसूल सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने फरमाया कि अगर लोगों को मालूम हो जाए कि रमजान क्या चीज है तो मेरी उम्र साल के 12 महीने रमजान होने की तमन्ना करेगी। रमजान का महीना रहमत व बरकत वाला है। हर मर्द, बच्चे, औरत और बूढ़े रोजे का साथ नमाज तरावीह में मशगूल रहते हैं। इस्लामिक मान्यता के मुताबिक अगर कोई इंसान रमजान के दूसरे आश्रय में अपने गुनाहों से माफी मांगता है तो दूसरे दिनों के मुकाबले इस समय अल्लाह अपने बंदों को जल्दी माफ करता है। उन्होंने कहा कि रमजान का तीसरा और आखिरी अशरा 123 में रोजे से शुरू होकर चांद के हिसाब से 29 में या तीसरे रोजे तक चलता है। यह असरा सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। तीसरे असरे का उद्देश्य जहन्नम की आग से खुद को सुरक्षित रखना है। इस दौरान हर मुसलमान को जहन्नुम से बचने के लिए अल्लाह से दुआ करनी चाहिए। रमजान के आखिरी अशरे में कई मुस्लिम एकता कार में बैठते हैं। 1 बजे तक मुस्लिम मस्जिद में 10 दिनों तक एक जगह बैठकर अल्लाह से इबादत करते हैं। हर मुसलमानों की गुनाहों के माफ करने की दुआ मांगते हैं।

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