कोविड की बन्दी में चकबंदी न्यायालय खोलने से भड़के अधिवक्ता

जौनपुर। कलेक्ट्रेट अधिवक्ता समिति ने बन्दोबस्त अधिकारी चकबन्दी के न्यायालय का बहिष्कार उनके यहां से स्थानान्तरण होने तक करने का निर्णय लिया है। इस आशय की जानकारी प्रेस को जारी विज्ञप्ति के माध्यम से दी गयी है। समिति के साधारण सभा की बैठक संघ के सभागार में अध्यक्ष हरिश्चन्द्र यादव की अध्यक्ष एवं महामंत्री आनन्द मिश्र के संचालन में हुई। इस दौरान कोरोना को देखते हुये 20 से 24 अप्रैल तक न्यायिक कार्य न्यायिक कार्य न करने का प्रस्ताव पारित किया गया था किन्तु समिति के प्रस्ताव के विपरीत एवं कोविड के प्रोटोकाल का उल्लंघन करते हुये बन्दोबस्त अधिकारी चकबन्दी ने न्यायिक कार्य सम्पादित किया। इसके चलते समिति ने सर्वसम्मत से उनके जौनपुर से स्थानान्तरण होने तक कार्य बहिष्कार का प्रस्ताव पारित किया। साथ ही उनके कार्यों में सहयोग करने वाले अधिवक्ताओं को चिन्हित कर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का निर्णय हुआ। समिति ने कोरोना को देखते हुये आगामी 30 अप्रैल तक न्यायिक कार्य न करने का निर्णय लिया है। महामंत्री आनन्द मिश्र ने कहा कि बंदोबस्त अधिकारी का स्थानांतरण होने तक चकबन्दी न्यायालय का बहिष्कार जारी रहेगा। दौरान यह भी प्रस्ताव पारित किया गया है कि चकबन्दी के न्यायिक कार्यों का सहयोग करने वाले अधिवक्ताओं को चिन्हित किया जा रहा है। जो चोरी-छिपे चकबंदी के लोगों की मदद करते हैं, ऐसे लोगों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। बैठक में उपस्थित अधिवक्ताओं ने सर्वसम्मति से  फैसला लिया कि कोरोना महामारी को देखते हुए 30 अप्रैल तक कार्य से विरत रहा जाएगा। बैठक में पूर्व अध्यक्ष जगत नरायन तिवारी, विजय प्रताप सिंह, महेन्द्र प्रताप सिंह, पूर्व महामंत्री ओम प्रकाश सिंह, ब्रजेश यादव, वरिष्ठ अधिवक्ता अभय यादव, नजर हसन रिजवी, ओम प्रकाश मिश्र, बृज मोहन शुक्ला, हर्ष कुमार सहिततमाम अधिवक्ता मौजूद रहे।

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