कोरोना की तीसरी लहर को लेकर बच्चों के प्रति सजग हो जायं अभिभावकः डा. तेज सिंह

जौनपुर। आज पूरा देश कोरोना जैसी महामारी की दूसरी लहर से प्रभावित है। जैसा कि हर महामारी का स्वभाव होता है कि अनेक लहरों में आना और हर लहर असंख्य लोगों को प्रभावित करती है। इस तरह हम यह कह सकते हैं कि कोरोना की तीसरी लहर की संभावना प्रबल है। तमाम वैज्ञानिकों व विश्लेषकों का कहना है कि तीसरी लहर में बच्चों में संक्रमण की संभावना बहुत ज्यादा है। इस भविष्यवाणी से तमाम अभिभावकों के मन में चिंता होना स्वाभाविक है। इस तरह के भय को दूर करने का कार्य एवं जागरूकता फैलाना जनपद के समस्त चिकित्सकों (मुख्यतः बाल रोग विशेषज्ञों), मीडिया एवं शासन-प्रशासन को मिलकर करना है। उक्त बातें नवजात शिशु, बाल रोग एवं सघन चिकित्सा विशेषज्ञ डा. तेज सिंह ने जनहित के बाबत मीडिया को जारी बयान के माध्यम से कही। उन्होंने आगे बताया कि कोरोना संक्रमित बच्चों की संख्या जनपद में धीरे-धीरे बढ़ रही है। बच्चों में कोरोना के मुख्य लक्षण बुखार, खांसी, भूख न लगना, दस्त/उल्टी होना, आंखों का लाल होना, शरीर पर लाल धब्बे पड़ना इत्यादि हैं। अभिभावकों से उन्होंने अनुरोध किया कि यदि उनके बच्चों में कोई भी लक्षण पाये जाते हैं या उनका बच्चा किसी कोरोना मरीज के सम्पर्क में आता है तो तत्काल बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेकर कोरोना का टेस्ट अवश्य करायें। डा. सिंह ने बताया कि बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता वयस्क की तुलना में ज्यादा होती है। लगभग 90 प्रतिशत से ज्यादा संक्रमित बच्चों में यह रोग बिना लक्षण या एकदम साधारण लक्षण के साथ होते हैं जिन्हें घर पर ही रहकर ठीक किया जा सकता है। लगभग 2-3 प्रतिशत संक्रमित बच्चों को ही आईसीयू केयर की आवश्यकता होती है। नगर के लाइन बाजार के मेडिकल चौराहे के पास स्थित एस.एस. हास्पिटल एण्ड डायग्नोस्टिक सेण्टर के संचालक डा. तेज सिंह ने कोरोना से बचाव के लिये 2 साल से ऊपर के बच्चों में मास्क की अनिवार्यता पर जोर दिया। साथ ही कहा कि वयस्कों से 2 मीटर की दूरी बनाना एवं हाथों को साबुन से बार-बार धोना तो अत्यन्त आवश्यक है। श्री सिंह ने बताया कि बच्चों में टीकाकरण की प्रक्रिया इस समय अण्डर ट्रायल है एवं जल्द ही 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों का टीकाकरण शुरू होने की संभावना है। 18 वर्ष की आयु से ऊपर वाले सभी लोग अपना क्रम आने पर टीकाकरण अवश्य करायें। इसके द्वारा बच्चों में कोरोना के संक्रमण की दर को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

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