कोरोना बीमारी से बढ़ रहे मानसिक रोगः डा. हरिनाथ यादव


जौनपुर। कोरोना जैसी महामारी ने न सिर्फ हमारे फेफड़ों को शिकार बनाया है, बल्कि यांत्रिक तंत्र को भी प्रभावित किया है। कोरोना की वजह से मानसिक रोगों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। कोरोना हमारे दिमाग को शिकार बना रही है। अधिकांश लोग जिनको यह बीमारी अभी तक नहीं हुई है, उनके मन में यह डर है कि उन्हें कहीं हो न जाय? किसी को कहीं जाने का डर तो किसी चीज को छूने का डर इतना अधिक हो गया है कि यह मानसिक बीमारी का रूप लेने लगा है। उक्त बातें नगर के नईगंज में स्थित श्री कृष्णा न्यूरो एवं मानसिक रोग चिकित्सालय के वरिष्ठ मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. हरिनाथ यादव ने पत्र-प्रतिनिधि से हुई एक भेंट के दौरान कही।
उन्होंने आगे कहा कि डर तो सबके मन में है परन्तु जब यह घबराहट हर समय होने लगे और जीवन को प्रभावित करने लगे तब यह मानसिक बीमारी बन जाती है। अवसाद, तनाव, ओसीडी, नींद की कमी, थकान अन्य बीमारियां जन्म लेती हैं।
डा. हरिनाथ यादव ने बताया कि करोना होने के बाद मरीज मानसिक रूप से कमजोर हो जाते हैं और साथ में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। कई लोगों को तो हर वक्त मौत का डर लगा रहता है। कई व्यक्ति इसी घबराहट के चलते अस्पताल में भर्ती हो जाते हैं। इससे अस्पताल में इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। डा. यादव ने कहा कि बीमारी बढ़ने के बाद कुछ लोगों को आईसीयू में भर्ती होना पड़ता है। आईसीयू में लगातार मशीनों की टिक टिक चलती रहती है। लाइट कभी बंद नहीं होती है। इससे दिमाग पर दुष्प्रभाव पड़ने लगता है। ऐसे में दिन और रात का एहसास खत्म हो जाता है। मस्तिष्क भ्रम की स्थिति में आ जाता है। आईसीयू एंजायटी, साइकोसिस की दिक्कत हो सकती है। कई लोगों को घबराहट की दिक्कत हो जाती है और इस हद तक हो जाती है कि वह आईसीयू से भागने लगते हैं।
डा. हरिनाथ यादव ने बताया कि ब्रेन में आक्सीजन की कमी से न्यूरॉन डैमेज हो जाते है जिसकी वजह से मरीजों को भूलने की बीमारी, साइकोसिस एवं अन्य मानसिक होने का खतरा बढ़ जाता है। डा. यादव ने कहा कि कोरोना की वजह से हर व्यापार में अनिश्चितता बनी हुई है। पैसे का आवागमन कम हो गया है। अस्पताल में होने वाला खर्चा बढ़ गया है। बच्चे-बड़े सब घर में हैं। ऐसे में आपसी टकराव भी बढ़ने लगा है। यह सब कारण भी दिमाग को प्रभावित कर रहे हैं।
डा. यादव ने बताया कि मानसिक रूप से कमजोर हो जाने से सबसे पहले हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। यदि कोरोना नहीं हुआ तो होने की संभावना बढ़ जाती है और यदि हो गया है तो काम्प्लिकेशन की संभावना बढ़ जाती है। डा. यादव ने बताया कि घबराहट और डिप्रेशन में शरीर में साइटोकाइन तादाद बढ़ जाती है जो पहले ही करोना की वजह से बढ़ने लगते हैं। इससे साइटोकाइन स्टार्म का खतरा बढ़ जाता है। घबराहट और डिप्रेशन में व्यक्ति चिकित्सक की सलाह का ढंग से पालन नही कर पाता जो मुसीबत का कारण बन सकता है। सीरियस हालात में मरीज को लेकर अस्पताल बदलना भी भारी पड़ सकता है।  जितना हम मानसिक रूप से सशक्त रहेंगे, उतने जल्दी करोना हमसे हारेगा।
डा. हरिनाथ यादव ने इस महामारी में अपने मानसिक स्वास्थ्य को कैसे मजबूत बनायें, कुछ सुझाव दिये- टीवी की खबरें कम से कम देखें। अपने घर वालों के साथ समय बिताएं और घरेलू कामों में व्यस्त रहें। अपने परिजनों को फोन करके खुशनुमा बातें करते रहें। सावधानी रखें पर हौवा न बनायें। अपने डर को हावी न होने दें। जरूरी काम सावधानी से करते रहें। कोरोना हो जाए तो घबराएं नहीं, क्योंकि अधिकांश लोग इससे ठीक हो रहे हैं। अच्छे डाक्टर से सलाह लेकर इलाज कराएं। किसी परिजन को कोरोना हो तो उनका मनोबल बढ़ाएं तथा जो गुजर गए हैं, उनकी बातें बार-बार न करें। यदि आईसीयू में जाना पड़े तो डाक्टर व स्टाफ पर भरोसा रखें। मादक पदार्थ का सेवन न करें। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता घटती है। नियमित आहार और पानी का सेवन करें। जरूरत पड़े तो अच्छे मानसिक रोग विशेषज्ञ को दिखाएं एवं स्वयं अधकचरा  इलाज करने से बचें।

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