नारद जी के सम्प्रेषण में लोक मंगल की भावनाः डा. परमात्मा


देवर्षि नारद जयंती पर जनसंचार विभाग में ई-गोष्ठी आयोजित
सिद्दीकपुर, जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार  एवं पत्रकारिता विभाग में नारद जयंती पर लोक संचारकर्ता देवर्षि नारद का सम्प्रेषण कौशल विषयक ई-गोष्ठी का आयोजन हुआ। गोष्ठी में मुख्य वक्ता महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी बिहार के सहायक आचार्य डा. परमात्मा मिश्र ने कहा कि लोक संचारक महर्षि नारद आदि पत्रकार के रूप में हैं। वह महर्षियों में सर्वश्रेष्ठ हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने विराट रूप का दर्शन देते हुए कहा है कि मैं ऋषियों में नारद हूं। महर्षि नारद को लोक मंगल का देवता माना जाता है। वह सम्पूर्ण लोक में विचरण करते हुये लोक कल्याण की बात सोचते हैं। उन्होंने कहा कि महर्षि नारद को जब संचारक के रूप में देखते हैं तो उनके सम्प्रेषण में सादगी, विनम्रता, संगीत और लय का समावेश और लोक मंगल की भावना दिखाई देती है। अध्यक्षीय उद्बोधन में विभागाध्यक्ष डा. मनोज मिश्र ने कहा कि देवर्षि नारद संप्रेषण कौशल के कुशल चितेरे थे। सुर और असुर दोनों को अपने कुशल सम्प्रेषण कौशल के जरिये सदा राजधर्म के पालन की सीख देते रहे। देवर्षि नारद ब्रह्मांड की हर घटना से भिज्ञ रहते थे तथा सभी स्थितियों पर अपनी पैनी दृष्टि रखते थे। मुख्य वक्ता का स्वागत विभाग के शिक्षक डा. दिग्विजय सिंह राठौर ने किया। वहीं सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापन डा. सुनील कुमार ने किया। इस अवसर पर डा. अवध बिहारी सिंह, डा. चंदन सिंह सहित विभाग के समस्त विद्यार्थी एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।

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