कोरोना वायरस की पहचान में रमन प्रभाव की महत्वपूर्ण भूमिकाः डा. सिंह

जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय परिसर स्थित रसायन विज्ञान विभाग, रज्जू भइया संस्थान के तत्वावधान में रसायन विज्ञान में उपकरणीय तकनीक विषय पर पांच दिवसीय राष्ट्रीय ई-कार्यशाला का शुक्रवार को उद्घाटन हुआ। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए डा. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय लखनऊ के कुलपति मुख्य अतिथि प्रो. राणा कृष्ण पाल सिंह ने कहा कि उपकरणीय तकनीक के बिना विज्ञान के आधुनिक प्रयोग की कल्पना नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि आज के समय में प्रयोग होने वाले विभिन्न रसायन, नैनो मटेरियल व फार्मा इंडस्ट्री में बनने वाली नई दवाओं की पहचान में उपकरणीय तकनीकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह कार्यशाला रसायन विज्ञान व अंतर विषयक परास्नातक तथा शोध छात्रों के लिए बहुत उपयोगी होगा। पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस. मौर्य ने राष्ट्रीय कार्यशाला के आयोजन पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए सभी को बधाई दी। आईआईटीआरएम अहमदाबाद के वैज्ञानिक डा. धीरज सिंह ने रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी व उसके सिद्धांत तथा प्रयोग पर चर्चा करते हुए बताया कि भारत को भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में मिलने वाला एकमात्र नोबेल प्राइज रमन प्रभाव के लिये 1928 में सर सीवी रमन को दिया गया था। उन्होंने रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी के द्वारा विभिन्न प्रकार के पदार्थों की पहचान और अध्ययन में होने वाले प्रयोगों पर विस्तार से चर्चा की। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान के प्रोफेसर मृत्युंजय पांडे ने फ्लोरोसेंस स्पेक्ट्रोस्कॉपी के सिद्धान्त व उपयोग पर सरल भाषा में विस्तार से चर्चा की। कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे प्रो. देवराज सिंह ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. प्रमोद कुमार ने प्रतिभागियों का स्वागत किया। संयोजक डा. नितेश जायसवाल ने रूपरेखा प्रस्तुत की। इस अवसर पर प्रो. अशोक श्रीवास्तव, प्रो. वंदना राय, डा. अजीत सिंह, डा. मिथिलेश, डा. दिनेश, डा. धर्मेंद्र सिंह आदि उपस्थित रहे।

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