कहानी ‘वापसी’ जीवन के देखे, भोगे यथार्थ का लेखा-जोखाः कुलपति

जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि कहानी ‘वापसी’ जीवन के देखे, भोगे यथार्थ का लेखा जोखा है। साथ ही साथ प्रवास के दिनों में व्यक्ति अपनों से दूर रहकर अपनों के पास जो यादें छोड़कर आते हैं उन्हें मूलतः कहानी में पिरोते हैं। सुरेश चंद्र शुक्ल की कहानी ‘वापसी’ में उसी संदर्भों की झलक देखने को मिलती है। कहानी की भाषाशैली और कहानी में प्रयुक्त देशज शब्द कहानी को और मर्मस्पर्शी बनाते हैं। कुलपति रविवार की देर शाम भारतीय नार्वेजियन सूचना और सांस्कृतिक फोरम ओस्लो नार्वे और स्पाइल दर्पण के संयुक्त तत्वावधान में प्रवासी साहित्यकार हिंदी कहानी के सशक्त हस्ताक्षर डा. सुरेश चंद्र शुक्ल की कहानी ‘वापसी’ पर चर्चा के आयोजन के दौरान बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थीं। प्रो. मौर्य ने पर्यावरण के संदर्भ में अपनी कविता की कुछ पंक्तियां सुनाईं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुंवर वीर सिंह मार्तंड ने किया। संचालन डा. मुकेश कुमार मिश्र ने किया। प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा, ओम सपरा, डा. सुरेश पांडेय समेत देश-विदेश के शीर्ष विद्वानों ने सम्मिलित होकर कहानी पर गहन चर्चा की। इसके पश्चात काव्य सम्मेलन आयोजित हुआ जिसमें अमेरिका, नार्वे, स्वीडन, डेनमार्क आदि कई देश के साहित्यकारों ने भाग लिया।

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