फेक न्यूज के दुष्चक्र में फंसा है भारतः प्रो. मुकुल श्रीवास्तव


कोरोना काल में कॉरपोरेट घरानों ने रखा कर्मचारियों का ख्यालः डा. आशिमा
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग एवं आइक्यूएसी सेल की ओर से आयोजित सात दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन विशेषज्ञों ने दो सत्रों में सोशल मीडिया के समाचारों का तथ्य सत्यापन एवं कोविड-19 में कारपोरेट कम्यूनिकेशन विषय पर अपनी बात रखी। विशेषज्ञों ने फेक न्यूज पर चर्चा करते हुए इससे बचने के उपाय बताये। बतौर विशेषज्ञ लखनऊ विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मुकुल श्रीवास्तव ने सोशल मीडिया के समाचारों का तथ्य सत्यापन विषय पर कहा कि सूचना के क्षेत्र में तकनीक ने जीवन को आसान किया है तो अराजकता की चुनौती भी खड़ी की है। सूचनाओं के संजाल के बीच फेक न्यूज की सबसे बड़ी चुनौती से देश और समाज को जूझना पड़ रहा है। भारत मिसइंफार्मेशन के दुष्चक्र में फंसा है। चूंकि अभी भारत के लोग इंटरनेट का प्रयोग करना सीख रहे हैं इसलिए सही और गलत सूचनाओं की समझ विकसित करने की चुनौती कही ज्यादा बड़ी है। प्रोफेसर श्रीवास्तव ने कहा कि आज फैक्ट चेकर्स के कारण सोशल मीडिया पर वायरल सही और गलत सूचनाओं की सत्यता पता चल जाती है। एमिटी विश्वविद्यालय नोएडा पत्रकारिता विभाग की शिक्षिका डा. आशिमा सिंह गुरेजा ने कोविड-19 और कारपोरेट कम्युनिकेशन पर संवाद किया। कहा कि कोरोना काल में बहुत सारे कारपोरेट घरानों ने अपने कर्मचारियों का ध्यान रखा एवं सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वहन किया है। अतिथियों का स्वागत कार्यशाला के संयोजक डा. मनोज मिश्र एवं धन्यवाद ज्ञापन डा. सुनील कुमार ने किया। आयोजन सचिव डा. दिग्विजय सिंह राठौर ने कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यशाला में प्रो. मानस पाण्डेय, प्रो. लता चौहान, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. चंदन सिंह, डा. धर्मेंद्र सिंह, डा. रश्मि गौतम, डा. मधु वर्मा, डा. रजनीश चतुर्वेदी, शिफाली आहूजा, डा. अमित मिश्रा, वीर बहादुर सिंह, राना सिंह आदि ने प्रतिभाग किया।

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