सदमें में परिवार, मौज में सरकार : कोतवाली बनी अपराधियों की पनाहगाह

सदमें में परिवार, मौज में सरकार : कोतवाली बनी अपराधियों की पनाहगाह 

एक कहावत आपने सुनी होगी, "जब सैयां भये कोतवाल, फिर डर काहे का ?" इस पूरे के पूरे गाने (कहावत) जो कि पूर्णतः काल्पनिक है को पूर्णतः चरितार्थ रायबरेली पुलिस की सदर कोतवाली कर रही है. गौरतलब है कि बीते 18 जून 2021 की रात में रायबरेली शहर से लगे गाँव पडरी गणेशपुर में एक महिला के घर कुछ हथियार बंद नकाबपोश बदमाशों ने डाका डाला था. इस लूट में 2.35 लाख की लूट को अंजाम भी दिया गया था.

मौके पर बदमाशों के जाने के बाद तत्काल पीड़ितों ने पुलिस को सूचना भी दी थी और गाँव के ही बचोले पंडित के ऊपर नामजद मुकदमा भी दर्ज करवाया था. पुलिस ने बचोले पंडित को गिरफ्तार भी कर लिया है लेकिन इतने दिन बीत जाने के बाद भी आज तक मामले पर पुलिस ने न ही अन्य अभियुक्तों को गिफ्तार करने की कोशिश ही की है और न ही बचोले पंडित का चालान ही भेजा है. 

पुलिस की कार्यवाही से संतुष्ट नहीं है पीड़ित परिवार - 

आपको बता दें कि उक्त घटना के संबंध में पुलिस जिस तरह से कार्यवाही कर रही है उससे पीड़ित परिवार संतुष्ट नहीं है.
पीड़ितों का आरोप है कि पुलिस ने बचोले पंडित को गिरफ्तार कर लिया है लेकिन जिले के कुछ रसूकदार लोगों की पहुँच की वजह से अब तक उसके ऊपर कोई भी कार्यवाही नहीं की गयी है. गिरफ्तारी के कई दिन बीत जाने के बाद भी अब तक पुलिस ने बचोले को जेल नहीं भेजा है. जबकि उधर पीड़ित परिवार दहशत के साये में जीने को विवश है.

क्या है पीड़ित परिवार का आरोप - 

पीड़ित परिवार का आरोप है कि उसने बचोले महराज को पहचान लिया था इसीलिए उन्होंने उक्त मामले में सीधे उनके नाम पर मुकदमा दर्ज करवाया था लेकिन चूँकि बचोले का ताल्लुक एक विशेष वर्ग से है जिसके लोगों की पहुँच सीधे शासन और पुलिस के साथ है. सदर कोतवाली में ही उनके जान-पहचान के लोगों का उठना बैठना है इसीलिए ही उक्त मामले में कार्यवाही नहीं हो रही है. न ही अभी तक लूट में शामिल अन्य लोगों को पुलिस गिरफ्तार ही कर सकी है. जबकि पीड़िता ने बताया कि जब पिस्टल उसके माथे पर लगाकर चाभियों की डिमांड उससे की जा रही थी तभी उसने अभियुक्त को पहचान लिया था, जिसके बाद ही उसने उनके खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज करवाया है . 

पुलिस मुख्यालय के बाहर चिल्लाते रहे लोग, भीतर श्लोक बाँचते रहे एसपी श्लोक कुमार -
मामले में पीड़ित परिवार ने पुलिस मुख्यालय का घेराव भी किया, जिस समय जिला पुलिस मुख्यालय का घेराव कर प्रदर्शन चल रहा था उस समय जिले के पुलिस विभाग के मुखिया श्लोक कुमार खुद मुख्यालय में मौजूद थे. पीड़ित परिवार ने उन्हें घटना के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दे रखी है बावजूद इसके मामले में अभी तक उनकी भूमिका एक मूकदर्शक के अलावा कुछ भी नहीं है . 

न्याय की आस,दहशत के साये में परिवार -

पुलिस की हीला-हवाली का यह कोई पहला मामला जिले में नहीं है, इस तरह के अनेकों मामले आये दिन आते रहते है . पुलिस पर आरोप भी लगते रहते हैं कि वह पक्षपात पूर्ण कार्यवाहियाँ कर रही है लेकिन यह मामला अलग है. मामले में मुख्यअभियुक्त गिरफ्तार भी है, पिछले कुछ दिनों से कोतवाली की रोटियाँ भी खा रहा है लेकिन कोतवाल के साथ निजी संबंधों के चलते वह आज भी सलाखों से काफी दूर है.

उधर पीड़ित परिवार का आलम यह है कि शाम होते ही घर में बिजली जलाने में भी परिवार डर रहा है. गाँव के ही लोग जब पिस्टल लगाकर लूट जैसी वारदात को अंजाम दे सकते है तो वे कुछ भी कर सकते है . यही सोच-सोच कर पूरा परिवार रात-रात भर जाग-जाग कर समय काटने पर मजबूर है. परिवार को अंदेशा है कि नामजद मुकदमा लिखवाने की वजह से अपराधियों को यदि दण्डित नहीं किया गया तो वह उनके साथ कुछ और बुरा भी कर सकते है.

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